दुनिया में 35 करोड़ लोगों के अवसाद से पीड़ित होने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अवसाद से मुक्ति मिल सकती है और इसका पहला मंत्र है कि इससे दबने की बजाए उसे व्यक्त करें. आकशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग शरीर स्वास्थ्य के संबंध में जागरूक होते हैं, वे तो हमेशा कहते हैं – पेट भी थोड़ा खाली रखो, प्लेट भी थोड़ी खाली रखो. और जब स्वास्थ्य की बात आई है, तो 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस है. संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक सबको स्वास्थ्य का लक्ष्य तय किया है. इस बार संयुक्त राष्ट्र ने 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस पर ‘अवसाद’ विषय पर फोकस किया है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि अवसाद इस बार उनका मुख्य विषय है. हम लोग भी अवसाद शब्द से परिचित हैं. एक अनुमान है कि दुनिया में 35 करोड़ से ज्यादा लोग मानसिक अवसाद से पीड़ित हैं. मुसीबत ये है कि हमारे अगल-बगल में भी इस बात को हम समझ नहीं पाते हैं और शायद इस विषय में खुल कर के बात करने में हम संकोच भी करते हैं. जो स्वयं अवसाद ग्रस्त महसूस करता है, वो भी कुछ बोलता नहीं, क्योंकि वो थोड़ी शर्मिंदगी महसूस करता है.
पीएम मोदी ने कहा, ‘‘मैं देशवासियों से कहना चाहूंगा कि अवसाद ऐसा नहीं है कि उससे मुक्ति नहीं मिल सकती है. एक मनोवैज्ञानिक माहौल पैदा करना होता है और उसकी शुरुआत होती है. पहला मंत्र है, अवसाद से दबने की बजाय उसे व्यक्त करने की जरूरत है.’’ उन्होंने कहा कि अपने साथियों के बीच, मित्रों के बीच, मां-बाप के बीच, भाइयों के बीच, शिक्षक के साथ खुल कर के कहिए आपको क्या हो रहा है. कभी-कभी अकेलापन खास कर के हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को तकलीफ ज्यादा हो जाती है. हमारे देश का सौभाग्य रहा कि हम लोग संयुक्त परिवार में पले-बढ़े हैं, विशाल परिवार होता है, मेल-जोल रहता है और उसके कारण अवसाद की संभावनायें खत्म हो जाती हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि लेकिन फिर भी मैं मां-बाप को कहना चाहूंगा कि आपने कभी देखा है कि आपका बेटा या बेटी या परिवार का कोई भी सदस्य अचानक अकेला रहना पसंद करने लगा है. आपका कभी ध्यान गया है कि ऐसा क्यों करता है? आप जरूर मानिए कि वह अवसाद की दिशा का पहला कदम है, अगर वह आप के साथ समूह में रहना पसंद नहीं करता है, अकेला एक कोने में चला जा रहा है तो प्रयत्नपूर्वक देखिए कि ऐसा न होने दें. पीएम मोदी ने कहा कि उसके साथ खुल कर के जो बात करते हैं, ऐसे लोगों के बीच उसे रहने का अवसर दीजिए. हंसी खुशी से खुल कर के बातें करने के लिये प्रेरित करें, उसके अन्दर कौन-सी कुंठा कहां पड़ी है, उसको बाहर निकालिए. ये उत्तम उपाय है.
उन्होंने कहा कि अवसाद मानसिक और शारीरिक बीमारियों का कारण बन जाता है. जैसे मधुमेह हर प्रकार की बीमारियों का यजमान बन जाता है. अवसाद टिकने की, लड़ने की, साहस करने की, निर्णय करने की, हमारी सारी क्षमताओं को ध्वस्त कर देता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे मित्र, परिवार, परिसर, माहौल – ये मिलकर के ही हमें अवसाद में जाने से रोक सकते हैं और अगर चले गए हैं, तो बाहर ला सकते हैं. एक और भी तरीका है, अगर अपनों के बीच में आप खुल करके अपने को व्यक्त नहीं कर पाते हों, तो एक काम कीजिए, अगल-बगल में कही सेवा-भाव से लोगों की मदद करने चले जाइए. मन लगा के मदद कीजिए, उनके सुख-दुख को बांटिए, आप देखना, आपके भीतर का दर्द यूं ही मिटता चला जाएगा आपके अन्दर एक नया आत्मविश्वास पैदा होगा. आप अपने मन के बोझ को बहुत आसानी से हल्का कर सकते है.