प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पार्टी सांसदों से आग्रह किया कि वे जनता तक जाकर उन्हें समझाएं कि 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद कर देने के उनके फैसले से देश को कितना और कैसे लाभ होगा. नोटबंदी को लेकर विपक्षी दलों तथा विशेषज्ञों की ओर से आलोचना झेल रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बुधवार को सरकार के कदम के लिए जनता के व्यापक समर्थन का दावा किया. पार्टी सांसदों ने प्रस्ताव पारित कर लोगों के समर्थन का स्वागत किया.
8 नवंबर को अचानक 500 और 1,000 रुपये के नोटों के बंद कर देने के कदम के बाद बीजेपी को पहला झटका तब झेलना पड़ा, जब संसद का शीतकालीन सत्र विपक्ष के कड़े और तीखे विरोध के कारण लगातार बाधित रहा. पहले, विपक्षी दलों की मांग थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस निर्णय पर सफाई दें, और कहा कि वित्तमंत्री अरुण जेटली का बयान पर्याप्त नहीं होगा, लेकिन बाद में जब प्रधानमंत्री बोलने के लिए तैयार हो गए, विपक्ष ने मांग की कि लाखों देशवासियों को परेशान करने के लिए उन्हें माफी मांगनी होगी.
संसद में बुधवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी कहा, “विपक्ष का विरोध टीवी चैनलों के लिए किया गया…” उन्होंने विपक्षी दलों को चुनौती देते हुए कहा कि नोटबंदी पर अधूरी रह गई बहस को पूरा करें. इस बीच, केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने भी कहा कि नोटबंदी के फैसले को लेकर देश प्रधानमंत्री के साथ है, और अमेरिकी पत्रिका ‘टाइम’ के ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ खिताब के लिए हुई ऑनलाइन वोटिंग में प्रधानमंत्री की जीत जाना इसका प्रमाण है.
देश में प्रचलित कुल नोटों का 86 फीसदी हिस्सा अचानक बंद कर दिए जाने, और नए नोटों की आपूर्ति पर्याप्त नहीं होने के कारण देशभर में, खासतौर से ग्रामीण हिस्सों में, नकदी संकट पैदा हो गया. सरकार ने दिक्कतों को दूर करने के लिए कुछ कदम भी उठाए, लेकिन ग्रामीण बैंकों की शिकायत यही रही कि उनके पास बांटने के लिए पर्याप्त मात्रा में नकदी नहीं है.