प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात कहा कि अगली पीढ़ी को विवेकपूर्ण ढंग से पानी का इस्तेमाल करना सिखाया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने किसानों को सिंचाई के लिए बूंद-बूंद (ड्रिप) और छिड़काव (स्प्रिंकलर) प्रणाली का इस्तेमाल करने की सलाह दी.
मोदी ने कहा कि गुजरात में सरकारों ने कई वर्षों तक पर्याप्त संख्या में धन खर्च किया ताकि राज्य के सूखाग्रस्त इलाके में भी लोगों को पानी मिल सके. मोदी नर्मदा नहर नेटवर्क की कच्छ शाखा पर तीसरे पम्पिंग स्टेशन के उद्घाटन समारोह में मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे. यह पम्पिंग स्टेशन दक्षिण गुजरात में बहने वाली नर्मदा नदी से पानी को करीब 600 किलोमीटर दूर अंजार तालुक में स्थित टप्पर बांध ले जाएगा.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अन्य राज्य के लोगों का मानना है कि गुजरात एक संपन्न राज्य है. हालांकि वह यह नहीं समझते कि यहां सरकार लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए हर साल बड़ी संख्या में धन खर्च करती है.’ सौराष्ट्र, कच्छ और उत्तरी हिस्सों की तरह राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पेयजल की समस्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात में हर साल कई गांवों और शहरों में टैंकरों के जरिए पीने का पानी मुहैया कराने पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए.
उन्होंने कहा कि 1998 में केशुभाई पटेल के नेतृत्व में राज्य में भाजपा की सरकार आने से लेकर मुख्यमंत्री विजय रुपानी के नेतृत्व वाली सरकार तक गुजरात में पानी की समस्या का स्थायी समाधान लाने के लिए इंतजामों पर ध्यान केंद्रित किया है. वर्ष 2001 से 2014 के बीच गुजरात के मुख्यमंत्री रहे मोदी ने उत्तरी गुजरात, कच्छ और सौराष्ट्र को पानी मुहैया कराने के लिए नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर परियोजना को पूरा करने पर भी ध्यान केंद्रित किया था.
उन्होंने कहा, ‘अब मां नर्मदा हम तक पहुंच गई है तो मैं आपसे इसका विवेकपूर्ण ढंग से इस्तेमाल करने का आग्रह करंगा. ना केवल आप को, बल्कि अगली पीढ़ी को बुद्धिमानी से पानी का इस्तेमाल करना सिखाना चाहिए. किसानों को अपनी फसल को पानी देने के लिए बूंद-बूंद और छिड़काव तरीके से सिंचाई करनी चाहिए.’