मध्यप्रदेश आजकल कुछ गलत वजहों से चर्चा में है। एक नगर निगम के अधिकारी हरभजन सिंह के खुलासे के बाद हनीट्रैप के ऐसे रैकेट का पर्दाफ़ाश हुआ है जिसे सुलझाने में पुलिस और SIT के पसीने छूट रहे हैं। इस मामले की गंभीरता को हम इस प्रकार समझ सकते हैं कि इस मामले पर आधिकारिक रूप से पुलिस या प्रशासन का कोई भी अधिकारी एक शब्द बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि मीडिया में सूत्रों के हवाले से जो बातें छन छन कर आ रही हैं वो इस मामले में किसी गहरे षड्यंत्र की तरफ इशारा कर रही हैं।
सबसे बड़ा ब्लैकमेलिंग स्कैंडल?
मीडिया के सूत्र बताते हैं कि इस हनीट्रैप मामले के खुलासे के बाद कई दिग्गज नेताओं, अधिकारियों और व्यापारियों की नींद उड़ी हुई है। इसे देश का ‘सबसे बड़ा हनीट्रेप और ब्लैकमेलिंग स्कैंडल’ भी कहा जा रहा है। इससे जुड़े 5000 फाइल जांच एजेंसियों को मिले हैं और अभी भी इसके मिलने का क्रम जारी है। इन फाइलों में कई सफ़ेदपोश अधिकारियों, नेताओं, व्यापारियों के अश्लील चैट और वीडियो क्लिप तथा ऑडियो क्लिप शामिल हैं।
बॉलीवुड अभिनेत्रियाँ भी रैकेट में शामिल
इस रैकेट में बी ग्रेड बॉलीवुड अभिनेत्रियों के भी शामिल होने की खबरें आई हैं साथ ही इस रैकेट के तार चार राज्यों तक फैले बताये गए हैं। शीर्ष संवैधानिक पदों पर रह चुके मध्य प्रदेश के कई दिग्गज नेता भी इस रैकेट का शिकार हो चुके हैं ऐसी भी खबर है।
हनीट्रैप रैकेट के पीछे राजनीतिक षड्यंत्र तो नहीं?
इस मामले के पीछे राजनीतिक षड्यंत्र होने का भी अंदेशा जताया जा रहा है। अगर ऐसा सच में निकलता है तो यह एक बड़े षड्यंत्र का छोटा हिस्सा होगा। मीडिया में राजनीतिक सूत्रों से आ रही ख़बरों के अनुसार ऐसा भी कहा जा रहा है कि इस षड्यंत्र में भाजपा और कांग्रेस से जुड़े पूर्व मंत्री, सांसद और नौकरशाह शामिल है। पर अभी तक इनमें से किसी का नाम सामने नहीं आ पाया है।
बहरहाल इस पूरे मामले में बेहतर तरीके से जांच होनी चाहिए और इसके पीछे जो भी हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। दोषी किसी भी पार्टी का हो उसे इस पूरे षड्यंत्र को रचने के लिए सजा मिलनी ही चाहिए।
जैसा कि पुलिस बता रही है कि “ये गिरोह न केवल पैसे वसूलता था, बल्कि वीआईपी व्यक्तियों की मदद से प्रमुख सरकारी कांट्रैक्ट भी हासिल करता था।” जो दर्शाता है कि यह सिर्फ हनीट्रैप का मामला नहीं है बल्कि देश और राज्य के सरकारी खजाने पर सेंधमारी और भ्रष्टाचार का सनसनीखेज मामला भी है। इसलिए इसे केवल ‘हनीट्रैप कांड’ की तरह ही नहीं बल्कि ‘भ्रष्टाचार कांड’ के रूप में भी देखना चाहिए और इसमें लिप्त दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलना चाहिए।