मोदी सरकार जल्द ही एक एक फैसला लेने जा रही है। जिसे सुनकर चीन की नींद उड़ा जाएगी। यह बदलाव जल्द ही सरकार करने जा रही है। चीन की चुनौती से निपटने के लिए भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में बदलाव हो सकता है। इसके संकेत और समीकरण दोनों मिल रहे हैं। राज्य सरकार को उम्मीद है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय जल्द ही भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के नोटिफिकेशन में कुछ संशोधन कर सकता है। यदि ऐसा हुआ तो क्षेत्र में विकास का रास्ता साफ हो सकेगा।
उत्तरकाशी का 98% क्षेत्र आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्र में आता है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जल विद्युत परियोजना, आबादी और पशुओं के दबाव से क्षेत्र के पर्यावरणीय नुकसान को रोकने के लिए गोमुख से उत्तरकाशी में गंगा के पूरे कैचमेंट एरिया को 2012 में इको सेंसिटिव जोन घोषित कर दिया था।
इसमें उत्तरकाशी के 89 गांव भी आते हैं। स्थिति यह है कि अगर इन गांवों में लोगों को एक कमरा भी बनाना होता है तो उन्हें इसकी मंजूरी मुख्य सचिव के माध्यम से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से लेनी होती है।
सेना का मूवमेंट बढ़ाने की हो रही कवायद
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ऐसे प्रतिबंध का विरोध राज्य सरकार भी लगातार करती आ रही है। भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में लैंड यूज चेंज करना, पहाड़ियों की ढलान अगर 20 डिग्री से अधिक है तो वहां भी निर्माण पर प्रतिबंध है।
इससे पूरे क्षेत्र में सड़क निर्माण योजना सेे लेकर चारधाम प्रोजेक्ट फंसे हुए हैं। उत्तरकाशी सीमांत और सामरिक महत्व का जिला है। ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर और चौड़ी सड़क की जरूरत को महसूस किया जा रहा है, ताकि सेना का मूवमेंट तेज हो सके।
इन्हीं सब बातों को लेकर मुख्यमंत्री और राज्य के उच्चाधिकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री और अफसरों से मिले हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार केंद्र ने नियमों में राहत देने का संकेत दिया है।
राज्य सरकार की तरफ से फरवरी में फाइनल भागीरथी इको सेंसिटिव मास्टर जोनल प्लान भेजने की तैयारी है। इस प्लान के आधार पर केंद्र कुछ गतिविधियों को क्षेत्र में करने की अनुमति प्रदान कर सकता है।
क्या चाहती है राज्य सरकार
- सड़क, अस्पताल, स्कूल, आवास निर्माण करने की अनुमति
- छोटी 10 लघु जल विद्युत परियोजना को हरी झंडी
- निश्चित गहराई तक नदियों से खनन करने की अनुमति
- स्टीप (पहाड़) के 20 डिग्री के नियम में बदलाव
भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के चलते जरूरी विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। प्रयास है कि इसमें कुछ बदलाव किया जाए। मास्टर जोनल प्लान को फाइनल कर जल्द भेज दिया जाएगा। उम्मीद है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय राज्य के पक्ष और जरूरत को समझने के बाद आवश्यक बदलाव करने पर सहमत हो जाएगा।