अंतरिक्ष में युद्ध की आशंका से निपटने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए स्पेस वॉर यानि अंतरिक्ष में होने वाले संभावित युद्ध से संबंधित तकनीक और हथियार विकसित करने के लिए डिफेंस स्पेस रिसर्च एजेंसी के गठन को मंजूरी दे दी है।
मोदी जी की सरकार ने आर्म्ड फोर्सेज की ताकत बढ़ाने के लिए DSRO के गठन की मंज़ूरी दी है। अमेरिका ने स्पेस वॉर की दिशा में पहले से ही अपनी तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। ऐसे में भारत भी पीछे नहीं रहना चाहता। अंतरिक्ष में युद्ध के दौरान आर्म्ड फोर्स की शक्ति में इज़ाफा करने के लिए मोदी जी की सरकार के द्वारा यह फैसला लिया गया है।
DSRO स्पेस वॉर फेयर वेपन सिस्टम और टेक्नोलॉजी पर काम करेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में सुरक्षा मुद्दे पर हुई कैबिनेट कमेटी की बैठक में DSRO के गठन को मंजूरी मिली है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों से पता चला है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की बैठक में इस नयी एजेंसी DSRO के गठन को मंजूरी दी है। सूत्रों के अनुसार इस एजेंसी को वार-फेयर हथियार और तकनीक विकसित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। भारत ने स्पेस वार के खतरे को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है। अब दूसरे देश अपनी शक्ति के दम पर भारत को आँख दिखाने की हिम्मत नही कर पाएंगे।
इस मिशन के तहत DSRO में काम करने वाले सभी वैज्ञानिक तीनों सेनाओं और उनके प्रमुखों के साथ समन्वय स्थापित करके काम करेंगी। इसमें तीनों सेनाओं के एक एक सदस्य को भी शामिल किया जायेगा। एजेंसी के गठन से पूर्व सरकार के द्वारा एक उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था। इस एजेंसी का नेतृत्व करने के लिए संयुक्त सचिव स्तर के वैज्ञानिकों को चुना जाएगा।
DSRO के द्वारा डिफेन्स स्पेस एजेंसी को रिसर्च और डवलपमेंट सहायता प्रदान की जायेगी। डिफेन्स स्पेस एजेंसी को अंतरिक्ष में होने वाले युद्ध में सहायता के लिए बनाया गया है। DSA को वाईस मार्शल रैंक के एक अधिकारी के तहत बंगलुरु में स्थापित किया गया है। ये एजेंसी धीरे-धीरे तीनों सेनाओं की स्पेस क्षमताओं को बढ़ाएगी। मोदी जी की सरकार के द्वारा स्पेस और साइबर वॉर को हैंडल करने के लिए इन एजेंसियों का गठन किया है। सरकार के द्वारा विशेष ऑपरेशन डिविज़न का भी गठन किया गया है। इसमें 300 स्पेशल कमांडो होंगे जो खास ऑपरेशन में सेना की मदद करेंगे।
ग़ौरतलब है कि मार्च 2018 में भारत ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। इस दिन भारत ने अंतरिक्ष में ही लाइव सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता विकसित कर ली थी। रूस, चीन, जापान और अमेरिका के बाद भारत भी अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता रखने वाला 5वां देश बन चुका है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा था कि आज हम अंतरिक्ष महाशक्ति बन चुके हैं। हमने स्पेस में सैटेलाइट को मार गिराने की क्षमता विकसित कर ली है। भारत के द्वारा किये गए इस ऑपरेशन में स्पेस में 300 किलो मीटर की दूरी पर स्थित लो अर्थ ऑर्बिट में एक लाइव सैटेलाइट को नष्ट किया गया था।