प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार नई स्कीम लांच करने जा रही है। इस स्कीम के तहत लाइसेंस लेकर आप बिजली विक्रेता बन सकते हैं। बिजली मंत्रालय ने इस संबंध में 7 सितंबर, 2018 को ड्राफ्ट जारी किया है। ड्राफ्ट पर सरकारी मुहर लगते ही बिजली (distribution) वितरण कंपनी और बिजली आपूर्ति (supply) करने वाली कंपनियां अलग-अलग हो जाएंगी। बिजली सप्लाई करने के लिए सिर्फ लाइसेंस की जरूरत होगी।
एक इलाके में होंगे कई बिजली सप्लायर
मोदी सरकार की स्कीम के मुताबिक एक इलाके में कई बिजली सप्लायर होंगे। उन सप्लायर का काम सिर्फ बिजली सप्लाई करने का होगा। बिजली वितरण कंपनियां अलग होंगी जिनका काम आम उपभोक्ताओं के घरों तक बिजली को पहुंचाने के लिए नेटवर्क स्थापित करना होगा। बिजली के सप्लायर नेटवर्क का इस्तेमाल करने के बदले वितरण कंपनियों को चार्ज देंगे। कोई भी सप्लायर किसी भी जगह से बिजली की खरीदारी कर घरों तक बिजली की सप्लाई कर पाएगा। मान लीजिए अगर किसी बिजली सप्लायर को किसी कंपनी से 2 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है तो वह सप्लायर वहां से बिजली लेकर अपने इलाके में बेच सकता है। बिजली के नेटवर्क के इस्तेमाल के लिए वह वितरण कंपनियों को चार्ज देगा। सप्लायर बनने के लिए लाइसेंस देने का काम उस राज्य के बिजली नियामक आयोग करेंगे। कोई भी उपभोक्ता किसी भी बिजली सप्लायर से बिजली लेने के लिए फ्री होगा।
मनमर्जी दाम पर नहीं बेच पाएंगे बिजली
ड्राफ्ट के मुताबिक बिजली सप्लायर मनमर्जी दाम पर बिजली नहीं बेच पाएंगे। उपभोक्ताओं को बिजली बेचने की कीमत की एक सीलिंग होगी। मतलब उस दाम से अधिक कीमत नहीं ली जा सकेगी। राज्य के नियामक आयोग बिजली के अधिकतम मूल्य को तय करेंगे।
बिजली पर सब्सिडी डीबीटी स्कीम से
बिजली के संशोधित कानून के लागू होने पर कोई भी राज्य सरकार बिजली सप्लायर के माध्यम से अपने उपभोक्ताओं को बिजली पर सब्सिडी नहीं दे पाएगी। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत यानी कि अगर कोई राज्य सरकार किसी खास वर्ग के उपभोक्ता को कम दाम पर बिजली दिलवाना चाहती है तो वह उतनी रकम उस उपभोक्ता के खाते में डाल देगी।