Modi sarkar ka sabse safal sansad satra hua khatm

मोदी सरकार का सबसे सफल संसद सत्र हुआ खत्म, बना रिकॉर्ड

संसद का मॉनसून सत्र शुक्रवार को खत्म हो गया। बीते बजट सत्र के मुकाबले इस सत्र में कामकाज काफी बेहतर रहा और मोदी सरकार का सबसे सफल सत्र साबित हुआ। इसमें कई अहम विधेयकों को संसद से मंजूरी दी गई। सत्र में 18 कुल बैठकें निर्धारित थीं, लेकिन गुरुपूर्णिमा की वजह से संसद 17 दिन ही चल सकी, एक दिन दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित रही।

लोकसभा में स्पीकर ने बताया कि बजट सत्र के मुकाबले इस सत्र में संतोषजनक काम हुआ और 112 घंटे तक सदन की कार्यवाही चली। उन्होंने बताया कि सदन ने 20 घंटे 43 मिनट देर तक बैठकर अहम मुद्दों पर चर्चा की, जबकि स्थगनों और व्यवधान की वजह से 8 घंटे 26 मिनट का वक्त बर्बाद हुआ। साथ ही पेश किए गए 22 सरकारी विधेयकों में से 21 को मंजूर किया गया।

राज्यसभा में कुल 74 फीसदी कामकाज हुआ और 14 विधेयकों से उच्च सदन से मंजूर किया गया। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन की कार्यवाही अनिश्चतकाल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में कहा, ‘पिछले 2 सत्रों में गतिरोध को देखते हुए मीडिया ने मॉनसून सत्र की कार्यवाही भी बाधित रहने की आशंका जताई थी, लेकिन मुझे खुशी है कि मीडिया गलत साबित हुआ।’ उन्होंने मीडिया से उच्च सदन की कार्यवाही को अधिक स्थान देने के लिए भी कहा।

सभापति ने कहा कि पिछले सत्र में यह महज 25 प्रतिशत काम हुआ था। उन्होंने कहा कि इस सत्र में उच्च सदन से 14 विधेयक पारित किये गये जबकि पिछले 2 सत्रों में 10 विधेयक पारित हो सके थे। साफ है कि पिछले 2 सत्रों की तुलना में यह सत्र 140 फीसदी अधिक फलदायी रहा है। सत्र के दौरान हंगामे के कारण 27 घंटे 42 मिनट का व्यवधान हुआ। हालांकि सत्र के अंतिम दिन उच्च सदन में तीन तलाक बिल नहीं पेश हो सका।

संसद से इस बार SC/ST अत्याचार निवारण संशोधन बिल को ध्वनि मत से मंजूर कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह कानून को कमजोर हो गया था और देशव्यापी विरोध के बाद सरकार आनन-फानन में इसे संशोधित कर संसद में बिल लेकर लेकर आई थी। इस मुद्दे पर मोदी सरकार विपक्षी दलों समेत दलित संगठनों के निशाने पर थी और जन दवाब में सरकार ने कोर्ट में एक अपील भी दायर कर रखी है। इसके अलावा संसद से ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से जुड़े संविधान के 123वें संशोधन को भी मंजूर किया गया।

मणिपुर में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के निर्माण से जुड़ा राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्याल बिल, भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल, आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक जैसे विधेयकों से संसद से पारित किया गया। इन चारों विधेयकों पर सरकार अध्यादेश लेकर आई थी, लेकिन अब यह विधेयक उन अध्यादेशों की जगह लेंगे। इसके अलावा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का संवैधानिक दर्जा देने वाला विधेयक भी इसी सत्र में संसद के दोनों सदनों से पारित किया गया है।

मॉनसून सत्र में मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव आया, हालांकि सदन ने बहुमत से इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इस प्रस्ताव पर 11 घंटे 46 मिनट तक चर्चा हुआ जिसमें 51 वक्ताओं ने हिस्सा लिया। वोटिंग के दौरान प्रस्ताव के विरोध में 325 वोट जबकि समर्थन में 126 वोट पड़े। इस तरह मोदी सरकार संसद के भीतर अपनी पहली अग्निपरीक्षा में अच्छे अंकों से पास हो गई।

इस सत्र में अचल संपत्ति अधिग्रहण (संशोधन) बिल, निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) बिल, स्टेट बैंक (निरसन और संशोधन) बिल 2017, भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक, स्पेससिफिक रिलीफ (संशोधन) बिल, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट अमेंडमेंट बिल जैसे कई अहम बिल सत्ता पक्ष और विपक्ष की सहमति से पारित हो सके।

उच्च सदन में कांग्रेस सांसद और पूर्व उपसभापति पी जे कुरियन का कार्यकाल सपाप्त होने के बाद उपसभापति का पद खाली था। इसी वजह से इस सत्र में डिप्टी चेयरमैन का चुनाव कराया गया। इस चुनाव में एनडीए के उम्मीद हरिवंश और विपक्षी उम्मीदवार बी के हरिप्रसाद के बीच मुकाबला था। हालांकि सदन ने वोटिंग के जरिए नया उपसभापति चुनाव जिसमें हरिवंश के पक्ष में 125 और हरिप्रसाद के पक्ष में 105 वोट आए। साल 2014 में जेडीयू के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे हरिवंश अब उच्च सदन के नए उपसभापति हैं।

सत्र के दौरान कुछ मुद्दे ऐसे भी आए जिनपर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन सकी। संसद में असम में NRC मसौदे, मुजफ्फपुर बालिका गृह में रेप, किसानों की समस्या, राफेल डील, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने जैसे मुद्दों पर गतिरोध भी बना रहा। खास तौर पर राज्यसभा में इन मुद्दों को लेकर कार्यवाही प्रभावित हुई।

फिर भी यह मॉनसून सत्र मोदी सरकार के सबसे बेहतर संसद सत्र में शामिल हुआ क्योंकि बजट सत्र में पूरा काम काज गतिरोध की वजह धुल गया था। इस सत्र में अविश्वास प्रस्तार पर तीसरे ही दिन चर्चा कराकर सरकार ने विपक्षी खेमे को शांत करने का काम किया ताकि संसद की कार्यवाही को सुचारू ढंग से चलाया जा सके। संसद के भीतर की लड़ाई भले की खत्म हो गई हो लेकिन चुनाव साल के मद्देनजर आगामी शीतकालीन सत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जंग और तेज होने की उम्मीद है।

D Ranjan
By D Ranjan , August 11, 2018

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