भारत के आज़ादी के साथ साथ पाकिस्तान भी आज़ाद हुआ। जहाँ एक तरफ भारत ने तरक्की की राह पकड़ी वहीं पाकिस्तान का हमेशा से एकसूत्री एजेंडा रहा की वो कैसे भारत की जमीन पे कब्ज़ा करे और भारत में अस्थिरता पैदा करे। पिछले 70 सालों में हमारे बीच चार बड़े युद्ध हो चुके हैं और सरहद पे कोई ऐसा दिन नहीं जाता जब गोलियां नहीं चलती हो।
दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए अलग अलग समयों पर कई प्रयास किये गए, पर शुरूआती सफलता के बाद हर पहल के परिणाम सिफर हीं निकले। शिमला समझौता हो या ताशकंद समझौता, अटल जी के समय में भारत पकिस्तान के बीच शुरू हुई बस यात्रा हो या फिर वर्तमान में मोदी जी के द्वारा शपथ ग्रहण में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को बुलाना हो.. ये सारे पहल भारत की पाकिस्तान से संबंधों को ले कर अच्छी नियत दिखाती है, पर हर पहल के बाद कोई न कोई चिंगारी उठती है और सारे किये धरे पर पानी फेर देती है।
वर्तमान समय की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो अच्छी पहल की पाकिस्तान से संबंधों को बेहतर करने के लिए, पहली जहाँ शपड़ह ग्रहण में सार्क देशों के सभी नेताओं को आमंत्रित किया जिसमे एक पाकिस्तान भी था तो दूसरी बार तब जब अफगानिस्तान से लौटते समय बिना किसी पूर्व सुचना के पाकिस्तान जा कर पाकिस्तानी राष्ट्रपति नवाज शरीफ को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं दी।
पर मोदी जी के इन पहलों का सिला पाकिस्तान ने कभी पठानकोट बेस कैम्प पर हमला कर के तो कभी कुलभूषण जैसे आम भारतीय का अपहरण कर के उसे दहशतगर्त बता के दिया।
कौन है कुलभूषण जाधव ?
सन 1970 में कुलभूषण जाधव का जन्म महाराष्ट्र के सांगली में हुआ, उनके पिता सुधीर जाधव महाराष्ट्र पुलिस में डीएसपी थे। कुलभूषण ने 1987 में नेशनल डिफेन्स एकेडमी में प्रवेश लिया और 4 साल बाद 1991 में भारतीय नौसेना में शामिल हो गए। 14 साल नौसेना की सेवा में गुज़ारने के बाद उन्होंने समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया और वह 2003 में रिटायर हो गए। रिटायर होने के बाद कुलभूषण ने ईरान में अपना व्यापार शुरू किया और उसमे सफलता भी पाई।
कुलभूषण की गिरफ्तारी
बहरहाल पाकिस्तान कहता है की कुलभूषण जाधव एक भारतीय जासूस है और उसे उन्होंने ईरान पाकिस्तान सरहद पर पाकिस्तान में घुसपैठ करते हुए पकड़ा। पाकिस्तान ने आरोप लगाए कि जाधव पाकिस्तान को अस्थिर करना और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जंग छेड़ना चाहते थे, कुलभूषण को 3 मार्च 2016 को ईरान से पाक में अवैध घुसपैठ के चलते गिरफ़्तार किया गया।
भारत का पक्ष
वहीं भारत की तरफ से दिए गए ऑफिशियल बयान में कहा गया की कुलभूषण का ईरान से अपहरण कर के पाकिस्तान ले जाया गया और उनका सरकार के साथ अब कोई सम्बन्ध नहीं है। कुछ सूत्र बताते हैं की कुलभूषण का अपहरण दरअसल तालिबान ने किया और पाकिस्तान को बेच दिया।
कब क्या क्या घटा !
कुलभूषण की गिरफ्तारी के कुछ दिन के बाद पाकिस्तान ने एक विडिओ जारी किया जिसमे कुलभूषण ने ये मान लिया है की वो भारतीय नौसेना अधिकारी हैं और भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ के निर्देश पर पाकिस्तान को अस्थिर करने की गतिविधियों में शामिल थे।
हालांकि, भारत ने इस वीडियो में किये गए कबुलनामे को अस्वीकार किया है। भारत के अनुसार, “यह पाकिस्तान के द्वारा बनाया गया एक नकली विडियो है। पाकिस्तान भारत को बदनाम करने के लिए कहानियां और ऐसे नकली वीडियो बना रहा है।”भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, जाधव का ईरान में कार्गो का व्यवसाय था और वो बंदर अब्बास और चाबहार बंदरगाहों से बाहर काम करता था। “ऐसा संभव है कि वो पाकिस्तानी जल में भटक गए हों लेकिन एक संभावना ये भी है कि उन्हें कुछ समय पहले बहाने से पाकिस्तान बुलाया गया और आईएसआई द्वारा नकली कागजातों का निर्माण किया गया।”सुरक्षा प्रतिष्ठान में एक अन्य अधिकारी के अनुसार, जाधव को पाकिस्तान के सुरक्षा अधिकारियों ने इनकी पृष्ठभूमि के बारे में पता लगा कर फंसाया और फिर योजना अनुसार कागजातों का निर्माण किया जिसे बाद में चमन से गिरफ्तारी में दिखाया जा सके।”
कुलभूषण जाधव के कबूलनामे के बाद 10 अप्रैल 2017 को इस मसले पर पाकिस्तानी फ़ील्ड जनरल कोर्ट मार्शल ने फांसी की सजा का एलान कर दिया। ये मुकदमा करीब साढ़े तीन महीने तक चला जिसमे जाधव पे पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध, भारत के खिलाफ जासूसी, राज्य को अस्थिर करने और आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए दोषी माना गया ।
फांसी की सजा के ऐलान के बाद भारत ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त ‘अब्दुल बासित’ को बुलवा कर अपना विरोध जताते हुए कहा की ये सारी न्याय प्रक्रिया बस एक चाल है, सजा के लेकर अपनाई गई कार्यवाईयों में लापरवाही बरती गई और भारत इस फैसले के अमल को फर्स्ट डिग्री मर्डर के तौर पर देखेगा।
भारतीय संसद ने 11 अप्रैल 2017 को जारी की गई एक बयान में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ये बात दोहराई की जाधव को ईरान की धरती से पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसियों अपहरण लिया और रॉ एजेंट बता कर ट्रायल चलाते रहे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मुद्दे पर कहा की जाधव के किसी तरह के गलत कार्य में सम्मलित रहने के कोई सबूत नहीं मिले हैं इसलिए फांसी की सजा एक “पूर्वनिर्धारित हत्या” का कृत्य कहलायेगा। इसके आगे स्वराज ने कहा की अगर ये सजा पाकिस्तान लागू करेगा तो दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय सम्बन्ध बेहतर नहीं रह पाएंगे।
वर्तमान प्रगति
इस मुद्दे पर दिसम्बर 2017 के आखिरी हफ्ते में पकिस्तान ने जाधव की माँ और पत्नी को कुलभूषण से मिलने दिया, ये एक अच्छी पहल हो सकती थी पर इस मौके पर भी पकिस्तान ने कई चूक कर दी जिससे से पूरी दुनिया में पाकिस्तान की थू थू हो गई। हुआ यूँ की जब जाधव की माँ जाधव से मिलने पाकिस्तान पहुंची तो उनके साथ वहां के अधिकारीयों ने बुरा व्यवहार किया। माँ और पत्नी के कपडे बदलवा दिए, बिंदी चूड़ी मंगलसूत्र और जूते तक उतरवा लिए गए, उनके खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाए गए।
एक मिलन पाकिस्तान के लिए अपनी छवि सुधारने का एक मौका हो सकता था, पर पकिस्तान ने अपनी हीं बेवकूफियों से इस मौके को जाया कर दिया।
भविष्य की संभावनाएं
हालांकि भारत सरकार अपनी तरफ से सारी कोशिशें कर रहा है जाधव को बचाने की पर पाकिस्तान की नियत का कुछ कहा नहीं जा सकता है। पिछली सरकार के दौरान पाकिस्तानी जेल में बंद एक और भारतीय सरबजीत सिंह को बचाने की कोशिशों में हुई चूक को सुधार कर जाधव को बचाने का रोडमैप बनाना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगवाने में भारत सरकार को मिली सफलता एक उम्मीद जगती भी है की शायद इस बार हम पहले की गई चूक दोहराएंगे नहीं।