भारत दो टूक लहजे में साफ़ कर चुका है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते, इसलिए विदेश मंत्रालय बार-बार मना कर रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की यहां अस्ताना में कोई मुलाक़ात होगी. हालांकि शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य देशों की मंशा है कि दोनों पड़ोसी देश आपसी रिश्ते में ज़मीं बर्फ़ को पिघलाएं और बातचीत की टेबल पर आएं.
दरअसल, भारत को कजाकिस्तान में 8-9 जून को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में इस क्षेत्रीय संगठन में पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर शामिल किया जाएगा. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद होंगे.
कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात की भी संभावना है. विदेश मंत्रालय ने हालांकि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ किसी बातचीत से इनकार किया है.
अस्ताना सम्मेलन में भारत के साथ पाकिस्तान को भी एससीओ की पूर्ण सदस्यता दी जाएगी.
विदेश मंत्रालय में यूरेशिया डिविजन के संयुक्त सचिव जी वी श्रीनिवास ने कहा, ‘इस तरह के संकेत हैं कि दायित्व ज्ञापन के तहत पूरी प्रक्रिया का अंतिम चरण अस्ताना में होने जा रहा है. दायित्व ज्ञापन में एससीओ के मौजूदा सदस्यों के राष्ट्र प्रमुखों द्वारा (सदस्यता की) पुष्टि होती है’. पीएम मोदी कजाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी वर्ल्ड एक्सपो 2017 में भी शामिल होंगे.
श्रीनिवासन ने कहा कि एससीओ के सदस्य देशों के नेताओं के साथ कुछ द्विपक्षीय मुलाकातें भी हो सकती हैं.