प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार रेलवे के विकास पर ध्यान केंद्रित किए हुए है, जबकि पहले की सरकारों में मुख्य सत्तारूढ़ पार्टी के द्वारा रेल मंत्रालय का उपयोग ‘अपने सहयोगियों को ईनाम देने के लिए’ ‘मोलभाव के उपकरण’ के तौर किया जाता था!
पीएम मोदी ने कहा, ‘पहले की सरकारों में रेलवे को उसके भाग्य पर छोड़ दिया गया था. मुख्य राजनीतिक दल के साझेदार सरकार में शामिल होने के लिए रेल मंत्रालय की मांग करते थे. केंद्र की सत्ता में आने वाली पार्टी अपने साझेदारों को पुरस्कार देने के लिए रेल मंत्रालय को मोलभाव के उपकरण के तौर पर इस्तेमाल करती थी. यह कड़वा सच है.’ उन्होंने कहा, ‘रेल विभाग का नेतृत्व करने वाले नेता रेलवे के विकास में दिलचस्पी नहीं रखते थे और मुझे बताने की जरूरत नहीं है कि वे किस चीज में रुचि रखते थे.’
प्रधानमंत्री ने गांधीनगर रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास के लिए आधारशिला रखी. इस पर 250 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसके ऊपर 300 कमरों का फाइव स्टार होटल बनाया जाएगा!
उन्होंने कहा, ‘मेरी सरकार ने रेलवे को प्राथमिकता दी है…इसका विस्तार होना चाहिए, इसे विकसित होना चाहिए, आधुनिक बनना चाहिए और इसे आम लोगों के जीवन में गुणात्मक बदलाव लाना चाहिए.’ मोदी ने कहा, ‘हमने पिछले ढाई सालों में यह करने का प्रयास किया है. हमने रेलवे का बजट बढ़ाया है.’ उन्होंने रेल विभाग के कई कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि रेलवे स्टेशनों पर मुफ्त वाईफाई की सुविधा प्रदान की जा रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार रेलगाड़ियों की गति बढ़ाने के लिए काम कर रही है और इसे अधिक सुरक्षित बनाने के लिए वैश्विक प्रौद्योगिकी लाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा, ‘विकसित देशों में माल ढोने का 70 फीसदी काम रेलवे द्वारा होता है और शेष सड़क मार्ग से. भारत में 15-20 फीसदी रेलवे के जरिए होता है और 70-80 फीसदी सड़कों के द्वारा होता है. जब सड़कों के द्वारा माल ढोया जाएगा तो चीजें महंगी होंगी.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि शहरों में स्थित रेलवे स्टेशनों के ऊपर ऊंची इमारतें बनाकर इन्हें विकासित किया जा सकता है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि उनका मंत्रालय गांधीनगर रेलवे स्टेशन की तरह देश भर में 23 रेलवे स्टेशनों को पुनर्विकसित करने की योजना बना रहा है.