Monthly Archives: June 2017

कजाकिस्‍तान में एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वदेश रवाना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कजाकिस्‍तान का अपना दो दिवसीय दौरा संपन्न कर शुक्रवार को स्वदेश के लिए रवाना हो गए. कजाकिस्‍तान में उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग सहित कुछ विदेशी नेताओं से मुलाकात की.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने ट्वीट किया, ‘बहुपक्षीय कूटनीति और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित ऐतिहासिक दौरा संपन्न. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एससीओ के बाद भारत के लिए रवाना हुए’. भारत और पाकिस्तान आज एससीओ का हिस्सा बने. चीन की अगुवाई वाले सुरक्षा समूह का यह पहला विस्तार है, जिसे नाटो के समान देखा जा रहा है.

कजाकिस्‍तान की राजधानी में एससीओ के सालाना शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि एससीओ परिवार में भारत का प्रवेश आतंकवाद तथा क्षेत्र में मौजूद अन्य चुनौतियों से निपटने के समूह के प्रयासों को नई गति देगा.

प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में संपर्क बढ़ाने की जरूरत पर भी अपनी बात रखी और कहा कि व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए यह जरूरी है.

इससे पहले दिन में पीएम मोदी ने शिखर सम्मेलन से अलग शी चिनफिंग से मुलाकात की और एक दूसरे की प्रमुख चिंताओं का सम्मान करने तथा विवादों के समुचित समाधान करने की जरूरत पर जोर दिया.

बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन को सहयोग में संभावनाओं का लाभ उठाना चाहिए, संवाद मजबूत करना चाहिए अंतरराष्ट्रीय मामलों में समन्वय मजबूत करना चाहिए, एक दूसरे की प्रमुख चिंताओं का सम्मान करना चाहिए और अपने विवादों को समुचित तरीके से निपटाना चाहिए.

एससीओ में भारत की सदस्यता का रूस ने पुरजोर समर्थन किया, जबकि पाकिस्तान के इस समूह में प्रवेश का चीन ने समर्थन किया. वर्ष 2001 में अस्तित्व में आने के बाद से एससीओ का यह पहला विस्तार है.

SCO सम्‍मेलन पीएम मोदी बोले आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा, इसके खिलाफ मिलकर लड़ने की जरूरत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के खतरे से निपटने और संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को चोट पहुंचाए बिना कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एससीओ सदस्यों के बीच समन्वित प्रयासों का आज मजबूती से समर्थन किया.

पीएम मोदी ने कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में उम्मीद जताई कि एससीओ परिवार में भारत के प्रवेश से आतंकवाद से निपटने की दिशा में इस समूह को नई गति मिलेगी.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आतंकवाद मानवता के लिए एक बड़ा खतरा है’. उन्होंने कहा कि आतंकवाद और अतिवाद को परास्त करने के लिए मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है. पीएम मोदी ने कट्टरपंथ, आतंकवादियों की भर्ती, प्रशिक्षण एवं वित्त पोषण समेत आतंकवाद के खतरे से निपटने के समन्वित प्रयासों पर बल दिया.

उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरा भरोसा है कि भारत-एससीओ के सहयोग सेे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करेगा और इसे नई दिशा देगा’. प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने की आवश्यकता की भी बात की और कहा कि यह व्यापार एवं निवेश बढ़ाने के लिए अहम है.

उन्होंने कहा, ‘एससीओ देशों के साथ हमारा सहयोग व्यापक है. हम कनेक्टिविटी पर और ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं’. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ समेत अन्य नेताओं की मौजूदगी में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रकार के सहयोग में संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता अहम कारक होने चाहिए.

पीएम मोदी का यह बयान ऐसे समय में महत्व रखता है, जब कुछ ही सप्ताह पहले भारत ने बीजिंग में आयोजित हाई प्रोफाइल ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ का बहिष्कार कर दिया था. इस सम्मेलन में विश्व के 29 नेताओं ने भाग लिया था.

भारत ने 50 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर अपनी चिंताओं को रेखांकित करने के लिए शिखर सम्मेलन से दूरी बनाई. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) का हिस्सा है. यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है. पीएम मोदी ने कहा कि एससीओ युद्ध पीड़ित अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में मदद करेगा.

उन्होंने भारत की सदस्यता के समर्थन के लिए एससीओ के सभी देशों का आभार व्यक्त किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि एससीओ में भारत की सदस्यता सदस्य देशों के बीच सहयोग को निश्चित ही नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी.

उन्होंने कहा, ‘ऊर्जा, शिक्षा, कृषि, रक्षा, खनिज, क्षमता निर्माण, विकास, साझेदारी, व्यापार और निवेश इसके वाहक हैं’. प्रधानमंत्री ने एससीओ से जलवायु परिवर्तन से निपटने के भी प्रयास करने का आह्वान किया

पीएम मोदी ने कहा कि एससीओ की यात्रा में आज एक ऐतिहासिक मोड़ है और भारत इस समूह में सक्रिय एवं सकारात्मक भागीदारी के लिए तैयार है.

SCO सम्मेलन : चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मिले पीएम नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अस्ताना में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन से इतर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की. दोनों देशों के बीच चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के मुद्दे पर बढ़ते मतभेदों के दौरान हुई इस मुलाकात को संबंध सुधारने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है.

दोनों नेताओं के बीच की यह मुलाकात इस लिहाज से अहम है कि यह इन दोनों के बीच की इस साल की पहली मुलाकात है और यह भारत द्वारा बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार किए जाने के बाद हुई है. पिछले माह बीजिंग में आयोजित इस फोरम का भारत ने बहिष्कार किया था. इसमें विश्व के 29 नेताओं ने हिस्सा लिया था.

बेल्ट एंड रोड पहल के तहत बनने वाले 50 अरब डॉलर के चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़ी अपनी चिंताओं को रेखांकित करने के लिए भारत इस सम्मेलन में नहीं गया. यह गलियारा पाक अधिकृत कश्मीर में गिलगित और बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है.

प्रधानमंत्री मोदी और शी यहां शंघाई सहयोग संगठन के वार्षिक शिखर सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बाग्ले ने ट्वीट किया,

‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अस्ताना में एससीओ सम्मेलन से पहले चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की.’

जब अस्ताना में पीएम नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तानी पीएम नवाज़ शरीफ़ से पूछा हालचाल- सूत्र

कज़ाकिस्तान के अस्ताना में शंघाई को-ऑपरेशन की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के बीच डिनर में मुलाकात हुई है. इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने नवाज़ शरीफ़ से उनकी तबीयत के बारे में पूछा. सूत्रों ने यह जानकारी दी.

दरअसल, नवाज़ शरीफ़ का हाल ही में दिल का ऑपरेशन हुआ था. सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने नवाज़ शरीफ़ से उनकी मां और परिवार का हाल-चाल भी पूछा.

उल्‍लखेनीय है कि कज़ाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पहुंचे हुए हैं. दोनों के बीच किसी आधिकारिक मुलाकात को लेकर विदेश मंत्रालय सिरे से मना कर चुका है.. फिर भी दोनों पड़ोसियों के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और नवाज शरीफ के बीच संभावित बैठक के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा,

“उनकी और हमारी ओर से कोई बैठक तय नहीं की गई है”.

शंघाई कोऑपरेटिव ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) की यहां दो दिवसीय शिखर बैठक में भारत और पाकिस्तान को पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा दे दिया जाएगा. इसकी प्रक्रिया पिछले साल जून से शुरू हुई थी. दोनों देशों ने इसके लिए मेमोरेंडम ऑफ ऑब्लिगेशन पर दस्तखत किए हैं. इसमें सभी सदस्य देशों का आपस में सहयोग बड़ी शर्त है.

हालांकि ये शर्त दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर बाध्यकारी नहीं है पर एससीओ के सभी पुराने देश चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान अपने रिश्तों पर ज़मीं बर्फ़ पिघलाएं. याद हो कि उफ़ा में 2015 में भी दोनों प्रधानमंत्री एससीओ बैठक के दौरान ही मिले थे और बातचीत के पटरी पर लाने की कोशिश की शुरुआत की थी, लेकिन पाकिस्तान की तरफ़ से लगातार आतंकी वारदातों की वजह से ये पटरी पर लौट न सकीं.

भारत दो टूक लहजे में साफ़ कर चुका है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते. इसलिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी कह चुकी हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी और नवाज़ शरीफ की यहां अस्‍ताना में कोई नहीं मुलाक़ात होगी, लेकिन पाकिस्तान से मिल रही जानकारी के मुताबिक़ कुलभूषण जाधव ICJ में शुरुआती हार का मुंह देख चुके पाकिस्तान पर बातचीत की पहल का भारी दबाव है. समस्या ये है कि वह बातचीत का अनुरोध खुलकर नहीं करना चाहता.

पीएम मोदी 4 जुलाई को पहुंचेंगे इस्राइल, पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से करेंगे मुलाकात

इस्राइल के साथ भारत के मजबूत संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय दौरे पर 4 जुलाई को इस यहूदी राष्ट्र में पहुंचेंगे. यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला इस्राइल दौरा होगा. तेल अवीव में भरोसेमंद सूत्रों ने पीटीआई को बताया-  पीएम मोदी 4 जुलाई को इस्राइल पहुंचेंगे और उसी शाम वह प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात कर सकते हैं.

पीएम मोदी का यह दौरा दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के 25 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में हो रहा है. प्रधानमंत्री अगले दिन तेल अवीव में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करेंगे जहां लोगों के बड़ी संख्या में मौजूद रहने की उम्मीद है. भारतीय समुदाय ने पीएम मोदी के इस कार्यक्रम को लेकर वेबसाइट शुरू की है. इस्राइल में करीब 80,000 भारतीय यहूदी रहते हैं.

भारतीय यहूदी समुदाय अब भी भारत की सांस्कृतिक परंपराओं को बरकरार रखे हुए और अपने मूल का बड़े गर्व के साथ जिक्र करते हुए वे कहते हैं कि भारत दुनिया का एक इकलौता ऐसा देश है जहां कोई यहूदी विरोधी भावना नहीं है. पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से यहां काफी उत्साह पैदा हुआ है क्योंकि गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान तेल अवीव के साथ नजदीकी रिश्ते बरकरार रखने को लेकर वह यहां लोकप्रिय हैं. वह अक्तूबर, 2006 में इस्राइल आए थे.

इस्राइली मीडिया में एक और चीज की चर्चा होती है और वह पीएम मोदी और नेतन्याहू के बीच का ‘नजदीकी तालमेल’ है. दोनों नेता संयुक्त राष्ट्र संबंधित कार्यक्रमों से इतर विदेशी सरजमीं पर दो बार मुलाकात कर चुके हैं और कहा जाता है कि वे फोन पर एक दूसरे के संपर्क में बने रहते हैं.

पीएम मोदी का यह दौरा इस्राइल तक सीमित है और इसमें फिलस्तीन का दौरा शामिल नहीं है. इसे कुछ लोग बड़ा संदेश मान रहे हैं लेकिन फिलस्तीनी प्राधिकरण का कहना है कि भारत को इस्राइल के साथ संबंधों का निर्माण करने का अधिकार है लेकिन यह फिलस्तीनी मकसद को नई दिल्ली के ठोस समर्थन की ‘कीमत’ पर नहीं होना चाहिए. फिलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने मई महीने में भारत का दौरा किया था.

कजाकिस्‍तान में नहीं होगी पीएम नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ की मुलाकात

भारत दो टूक लहजे में साफ़ कर चुका है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते, इसलिए विदेश मंत्रालय बार-बार मना कर रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की यहां अस्ताना में कोई मुलाक़ात होगी. हालांकि शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य देशों की मंशा है कि दोनों पड़ोसी देश आपसी रिश्ते में ज़मीं बर्फ़ को पिघलाएं और बातचीत की टेबल पर आएं.

दरअसल, भारत को कजाकिस्तान में 8-9 जून को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में इस क्षेत्रीय संगठन में पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर शामिल किया जाएगा. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद होंगे.

कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात की भी संभावना है. विदेश मंत्रालय ने हालांकि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ किसी बातचीत से इनकार किया है.

अस्ताना सम्मेलन में भारत के साथ पाकिस्तान को भी एससीओ की पूर्ण सदस्यता दी जाएगी.

विदेश मंत्रालय में यूरेशिया डिविजन के संयुक्त सचिव जी वी श्रीनिवास ने कहा, ‘इस तरह के संकेत हैं कि दायित्व ज्ञापन के तहत पूरी प्रक्रिया का अंतिम चरण अस्ताना में होने जा रहा है. दायित्व ज्ञापन में एससीओ के मौजूदा सदस्यों के राष्ट्र प्रमुखों द्वारा (सदस्यता की) पुष्टि होती है’. पीएम मोदी कजाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी वर्ल्ड एक्सपो 2017 में भी शामिल होंगे.

श्रीनिवासन ने कहा कि एससीओ के सदस्य देशों के नेताओं के साथ कुछ द्विपक्षीय मुलाकातें भी हो सकती हैं.

कजाकिस्‍तान की राजधानी अस्‍ताना में क्या संभव है PM नरेंद्र मोदी और नवाज़ शरीफ की मुलाक़ात?

विदेश मंत्रालय साफ़ कर चुका है कि कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्‍तानी पीएम नवाज़ शरीफ़ के बीच कोई मुलाक़ात तय नहीं है. भारत ने ऐसी मुलाक़ात का कोई प्रस्ताव नहीं दिया है और न ही पाकिस्तान की तरफ़ से ही ऐसी कोई पेशकश हुई है. फिर भी अस्‍ताना में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मुलाक़ात की अटकलें लगाईं जा रही हैं. मुलाक़ात आधिकारिक और तयशुदा न सही, चंद मिनटों की अनौपचारिक भेंट ही सही. हालांकि कजाकिस्‍तान के राष्‍ट्रपति नूरसुल्‍तान नजरबायेव की मेजबानी में दिए जा रहे भोज में दोनों ही नेता शिरकत करेंगे.

इसके पीछे कुछ वजहें भी बताई जा रही हैं. आठ-नौ जून को हो रही शंघाई कोऑपरेटिव ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) की यहां हो रही शिखर बैठक में भारत और पाकिस्तान को पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा दे दिया जाएगा. इसकी प्रक्रिया पिछले साल जून से शुरू हुई थी. दोनों देशों ने इसके लिए मेमोरेंडम ऑफ आब्लिगेशन पर दस्तखत किए हैं. इसमें सभी सदस्य देशों का आपस में सहयोग बड़ी शर्त है.

हालांकि ये शर्त दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर बाध्यकारी नहीं है पर एससीओ के सभी पुराने देश चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान अपने रिश्तों पर ज़मीं बर्फ़ पिघलाएं. याद हो कि उफ़ा में 2015 में भी दोनों प्रधानमंत्री एससीओ बैठक के दौरान ही मिले थे और बातचीत के पटरी पर लाने की कोशिश की शुरुआत की थी. पर पाकिस्तान की तरफ़ से लगातार आतंकी वारदातों की वजह से ये पटरी पर लौट न सकी.

भारत दो टूक लहजे में साफ़ कर चुक है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते. इसलिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी कह चुकी हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी और नवाज़ शरीफ की यहां अस्टाना में कोई मुलाक़ात होगी. लेकिन पाकिस्तान से मिल रही जानकारी के मुताबिक़ कुलभूषण जाधव ICJ में शुरुआती हार का मुंह देख चुके पाकिस्तान पर बातचीत की पहल का भारी दबाव है. समस्या ये है कि वह बातचीत का अनुरोध खुलकर नहीं करना चाहता.

नवाज़ शरीफ़ गुरुवार सुबह अस्‍ताना पहुंच रहे हैं जबकि मोदी दोपहर को. दोनों एक शहर में होंगे और वे चाहें तो उनके पास मिलने का वक्त भी होगा. ऐसे में चीन और रूस समेत शंघाई को-ऑपरेशन आर्गेनाइजेशन के सदस्य देशों की कोशिशें कहां तक रंग ला पाती हैं, यह देखना दिलचस्‍प होगा.

अस्ताना में मोदी-जिनपिंग की हुई मुलाकात, SCO में भारत की एंट्री के लिए पीएम ने चीन को कहा शुक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में हैं. इस शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को SCO की पूर्णकालिक सदस्यता दी जानी है. साल 2001 के बाद पहली बार चीन के प्रभुत्व वाले SCO का विस्तार हो रहा है. इसके साथ ही इसकी सदस्य संख्या छह से बढ़कर आठ हो जाएगी. अहम बात यह है कि भारत के इसमें शामिल होने से चीन का प्रभुत्व कम होगा. वहीं, बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की.

इस दौरान पीएम मोदी ने SCO में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन और प्रयास करने के लिए चीनी राष्ट्रपति का शुक्रिया अदा किया. हाल ही में सीमा विवाद और वन बेल्ट वन रोड परियोजना को लेकर दोनों देशों के बीच पैदा हुए मतभेद के मद्देनजर यह मुलाकात बेहद अहम है. भारत ने वन बेल्ट वन रोड समिट का बहिष्कार किया था. हालांकि इसमें दुनिया के 29 देशों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया था. वन बेल्ट वन रोड समिट के बहिष्कार के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली मुलाकात है. इससे पहले पीएम मोदी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से मुलाकात की.

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि SCO में भारत और पाकिस्तान के एक साथ शामिल होना बेहद अहम है. SCO जरिए भारत और पाकिस्तान एक मंच पर आएंगे. इससे दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद और मतभेद सुलझाने में मदद मिलेगी. अस्ताना में पीएम मोदी के अलावा पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ भी पहुंचे हुए हैं. बृहस्पतिवार को दोनों नेताओं के बीच मुलाकात भी हुई. अब पीएम मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं. अस्ताना में आयोजित यह समिट भारत समेत दूसरे देशों के लिए बेहद अहम है. विशेषज्ञों का मानना है कि SCO में भारत के शामिल होने से चीन का प्रभुत्व कम होगा.

पीएम मोदी का आज का कार्यक्रम

सुबह 10 बजे पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच मुलाकात
सुबह 10:40 बजे पीएम मोदी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जीयोयेव के साथ बैठक
दोपहर 01:20 बजे स्वागत समारोह और समिट स्थल में ग्रुप फोटा
दोपहर 01:30-03:30 बजे तक विस्तृत बैठक और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर
रात 07:30 से 11:15 बजे तक अस्ताना एक्पो का आधिकारिक उद्घाटन और सेंट्रल एक्जिबिशन पैविलियन का दौरा
रात 11:35 बजे विमान से दिल्ली को रवाना

मोदी कैबिनेट में होगा तीसरा फेरबदल, शामिल होंगे ओडिशा-WB और तमिलनाडु से नए चेहरे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही कैबिनेट में बड़ा बदलाव कर सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने बताया कि प्रधानमंत्री ने इस फेरबदल के लिए कोई निश्चित समयसीमा निर्धारित नहीं की है, हालांकि कैबिनेट में शामिल होने वाले नए लोगों के नामों की सूची पर काम शुरू हो गया है।

बता दें कि अगर कैबिनेट में ये फेरबदल होता है तो भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए सरकार में ये कैबिनेट का ये तीसरा बदलाव होगा।

जैसा की अगले लोकसभा चुनावों में केवल 2 साल बचे हुए हैं, ऐसे में भाजपा का इरादा सरकारी कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर लोगों के सामने रखने का है। इसके अलावा कुछ कैबिनेट सदस्यों को 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए पार्टी के कामों में लगाया जा सकता है।

बताया जा रहा है कैबिनेट में बदलाव की वजह पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे के अचानक निधन और रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के गोवा के मुख्यमंत्री बनने के कारण कैबिनेट में आई रिक्तियां भी हैं।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि कैबिनेट में फेरबदल की संभावना है लेकिन ये प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है कि कैबिनेट में फेरबदल कब किया जाए, इसका फैसला वो स्वयं करें।

पीएम मोदी ने GST की तैयारियों की समीक्षा की, कहा – अर्थव्यवस्था के लिए यह निर्णायक मोड़

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के कार्यान्वयन की तैयारियों की सोमवार को समीक्षा की और कहा कि इस पर अमल देश की अर्थव्यवस्था के लिए ‘निर्णायक मोड़’ साबित होगा.

देश के इतिहास में इसे एक ‘अभूतपूर्व’ अवसर करार देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि एक राष्ट्र, एक बाजार और एक कर प्रणाली का विकास देश के आम नागरिक के लिए बड़े फायदे का होगा.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा जारी बयान के अनुसार मोदी ने जीएसटी के कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिया कि जीएसटी से संबद्ध आईटी प्रणालियों की साइबर सुरक्षा पर अधिकतम ध्यान दिया जाए. प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से इसके कार्यान्वयन को लेकर आईटी तैयारी, मानव संसाधन तैयारी, प्रशिक्षण और अधिकारियों में जागरुकता तथा निगरानी आदि पहलुओं पर ध्यान दिया. सूचना सुरक्षा प्रणालियों पर विस्तार से चर्चा हुई.

जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए कानून को पिछले साल मंजूरी दी गई थी. इसके कार्यान्वयन से देश की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में आमूल चूल बदलाव आएगा. लगभग ढाई घंटे की इस समीक्षा बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ-साथ वित्त मंत्रालय, पीएमओ और केंद्रीय सचिवालय के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे. बैठक में बताया गया कि जीएसटी से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए ट्विटर पर हैंडल शुरू किया गया है. इसी तरह एक टोल फ्री नंबर 1800-1200-232 भी शुरू किया गया है.