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अफ्रीकी देशों पर मोदी की नजर, आखिर क्या हैं मायने..

गांधीनगर के महात्मा मंदिर सेंटर में आयोजित बैठक में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ्रीकन डेवलेपमेंट बैंक की 42वीं सालाना बैठक को संबोधित किया. यहां अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद अफ्रीकन देशों से भारत का व्यापार बढ़ा है. मोदी ने कहा कि अफ्रीकी देशों के साथ हमारे संबंध मजबूत हुए है. उन्होंने कहा कि साल 2014 में पद संभालने के बाद अफ्रीका को शीर्ष प्राथमिकता दी गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अफ्रीकी देशों को साधने के कई मायने हैं. भारत उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, बिजनेस के क्षेत्र में भारत को चीन से कड़ी टक्कर मिल रही है. इसलिए पीएम का लक्ष्य है कि दक्षिण एशियाई देशों के अलावा अफ्रीका के देश भारत के साथ हो, तो यह भारत के लिए फायदेमंद होगा. अफ्रीकन डेवलेपमेंट बैंक में 50 से ज्यादा अफ्रीकी देश शामिल हैं.

भारत और अफ्रीका देशों के बीच में पिछले कुछ समय से संबंध लगातार मजबूत हुए हैं. ये आंकड़ें कुछ ऐसा ही बयां करते हैं…

  • 2005-06 से लेकर 2015-16 के बीच भारत और अफ्रीकी देशों के बीच व्यापार लगभग 5 गुना बढ़ा है. मार्च 2016-17 तक इनका व्यापार लगभग 52 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है.
  • वहीं इसके अलावा भारत लगातार अफ्रीकी देशों में अपना एक्सपोर्ट बढ़ा रहा है. भारत 2007-08 तक लगभग 14 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट करता था, जो कि 2016-17 तक 23 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. इस बीच इसकी सालाना ग्रोथ 5.6 प्रतिशत की रही.
  • वहीं भारत अफ्रीकी देशों से आयात भी करता है, 2007-08 तक यह आयात 20 बिलियन डॉलर का रहा जो कि 2016-17 तक 28 बिलियन डॉलर जा पहुंचा. इस दौरान आयात की ग्रोथ 7.5 फीसदी रही.
  • इससे पहले 2015 में हुई भारत-अफ्रीकी देशों के बीच हुई समिट के दौरान 10 बिलियन डॉलर के समझौते हुए थे.
  • आपको बता दें कि भारत अफ्रीकन डेवलेपमेंट फंड से 1982 में जुड़ा था.

MODI@3: इन अहम फैसलों से बिगड़ी और सुधरी भारत की तस्वीर

मोदी सरकार के तीन साल पूरे हो गए हैं. अर्थव्यवस्था, विकास, रक्षा, बजट, टैक्स रिफॉर्म के बीच विदेश नीति भी एक बड़ा मुद्दा है जिसकी हमेशा चर्चा होती रही है. इस नीति पर मोदी सरकार के कई फैसले सराहनीय रहे तो कई पर विपक्षियों ने जमकर सवाल उठाए. मोदी सरकार के 3 साल के कार्यकाल के दौरान विदेश नीति के तहत लिए गए कुछ अहम फैसलों को समझ कर ही यह तय किया जा सकता है कि सरकार के कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसलों का दूसरे देशों से रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा.

पाकिस्तान से बनते-बिगड़ते रिश्ते

केन्द्र में मोदी सरकार बनते ही शुरुआत सभी दक्षिण एशियाई देशों को नई सरकार के शपथ-ग्रहण समारोह में शामिल होने के न्यौते के साथ हुई. इससे साफ संकेत मिला कि भारत की नई सरकार अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ एक मजबूत रिश्ता कायम करने की कवायद करेगी. यह संकेत तब और पुख्ता हो गया जब प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर आयोजित शादी समारोह में शिरकत की. भारत-पाकिस्तान रिश्तों में ऐसी गर्मजोशी का उदाहरण पूर्व की सरकारों के कार्यकाल में देखने को नहीं मिली.

नापाक कोशिश और माकूल जवाब

लेकिन इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-पाक रिश्तों में नया आयाम सामने किया. सरहद पार से आतंकी वारदातों को रोकने के लिए पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करने की मंजूरी दी गई. ऐसी मिसाल भी पूर्व की सरकारों के कार्यकाल में देखने को नहीं मिली. जाहिर है, तीन साल के मोदी कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान को साफ-साफ संकेत दिया गया कि दोस्ती का हाथ बढ़ाने के बावजूद सरहद पार से किसी नापाक कोशिश को माकूल जवाब देने के लिए मोदी सरकार तैयार है.

नेपाल को दो टूक

जब मोदी सरकार का कार्यकाल शुरू हुआ, नेपाल-भारत रिश्ता नाजुक दौर से गुजर रहा था. इसके बाद नेपाल में आए अप्रैल 2015 के भूकंप के बाद भारत सरकार ने बढ़ चढ़ कर नेपाल की मदद करने की पहल की. हालांकि इस दौरान नेपाल और चीन की बढ़ती नजदीकी दोनों देशों के बीच रिश्ता चुनौती भरा रहा है.

अब ट्रंप की बारी

यूपीए की मनमोहन सरकार के दौरान बराक ओबामा प्रशासन के साथ मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों की शुरुआत हुई. यहां से शुरू करते हुए मोदी ने अमेरिका में तेजी से बदलते आर्थिक और राजनीतिक हालात का मुकाबला किया है. बीते तीन साल में पीएम मोदी ने अमेरिका में अपने मेक इन इंडिया और और ग्लोबल वर्कफोर्स प्रोवाइडर के कार्यक्रमों को सामने रखा है. अमेरिका में इंडियन डाएसपोरा (भारतीय मूल के लोग) से मजबूत कनेक्ट बनाने में अहम सफलता पाई है. वहीं अपने कार्यकाल के चौथे साल में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों के लिए अहम है.

मोदी बनाम पुतिन- दबाव में नहीं होगी कोई डील

प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की जून के पहले हफ्ते में मुलाकात होनी है. इस मुलाकात में रूस की कोशिश भारत के साथ कुडानकुलम 5 और 6 न्यूक्लियर रिएक्टर को विकसित करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर करने की है. लेकिन भारत ने रूस को साफ कर दिया है कि यदि वह भारत की एनएसजी सदस्यता के लिए चीन को राजी करने में असमर्थ है तो इस तरह की डील का कोई फायदा नहीं होगा. गौरतलब है कि मोदी-पुतिन की मुलाकात में सबसे अहम मसौदा इस डील को लेकर है और भारत साफ शब्दों में कह चुका है कि वह चीन को भारत की सदस्यता के लिए राजी नहीं कर पाता तो ऐसी डील से भारत को कोई फायदा नहीं होने वाला है.

सिर्फ देसी ही नहीं विदेशी भी सुन रहे हैं पीएम मोदी की ‘मन की बात’

प्रधानमंत्री मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात को विदेशों में भी काफी सराहा जा रहा है।

ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) के निदेशक ने कहा कि 150 से ज्यादा देशों में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के बीच कार्यक्रम को खासा पसंद किया जा रहा है।

बता दें कि कार्यक्रम में पीएम मोदी हिंदी में श्रोताओं को संबोंधित करते हैं। अंग्रेजी में इसके अनुवाद का प्रसारण भी किया जाता है। इसके अलावा भाषण के अंश रूसी, फ्रेंच, उर्दू और चीनी समेत अन्य भाषाओं में भी प्रसारण किया जाता है।

एआईआर के विदेश सेवा विभाग के निदेशक अम्लानज्योति मजूमदार ने कहा कि ‘हमने 150 देशों में और हिंदी के अलावा अन्य कई भाषाओं में कार्यक्रम का प्रसारण कर रहे हैं। विदेशों में रह रहे भारतीयों का पीएम मोदी से जुड़े रहने का अधिकार है।’

उन्होंने कहा कि विदेशों में रह रहे भारतीयों के बीच जिनमें ज्यादात्तर संख्या गुजरातियों की है उनके बीच कार्यक्रम को खासा सुना जा रहा है। अफ्रीकी देशों में तो कार्यक्रम को अच्छी प्रतिक्रयाएं मिल रही हैं।

गौरतलब है कि पीएम मोदी हर महीने की अंतिम तारीख पर देशवासियों को संबोंधित करते हैं और उनके कार्यक्रम को खासा पसंद किया जाता है।

गुजरात में यहां है वो खास स्कूल, जहां मोदी ने सीखी थी ABCD

वह स्कूल जिसने हमारे देश के प्रधानमंत्री को जीवन का ककहरा सिखाया। अगर ये स्कूल न होता तो शायद मोदी वह न होते जो वो आज हैं। जी हां! हम बात कर रहे हैं गुजरात के वड़नगर स्थित महाराज श्री भगवताचार्य नारायणाचार्य हाईस्कूल की। इसी स्कूल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शैक्षिक जीवन की शुरुआत की थी।

वैसे तो शुरुआत में वह पढ़ाई लिखाई में काफी औसत ही रहे, लेकिन स्कूल के नाटकों में वह बढ़-चढ़ कर भाग लेते थे। वाद-विवाद प्रतियोगिता में वह हमेशा अव्वल आते थे। इसी दौरान उन्होंने स्कूल में एनसीसी भी ज्वॉइन कर लिया।

जिंदगी के उतार-चढ़ाव ने उन्हें चायवाला भी बनाया। मोदी 7 साल की उम्र से ही अपने पिताजी के साथ रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने जाते थे। स्कूल का कोई पीरियड खाली होने पर मोदी स्टेशन पहुंचकर चाय बेचने में पिता की मदद करते और पीरियड खत्म होते ही वापस आकर पढ़ाई करते।

लेकिन चाय ही उनके आरएसएस से जुड़ने का माध्यम भी बना। दरअसल मोदी की चाय की दुकान पर अक्सर आरएसएस के लोग आते थे। मोदी की उनसे अच्छी बातचीत होती थी। मोदी बातचीत में तो माहिर थे ही, आरएसएस के लोग उनकी इस क्षमता से खासे प्रभावित थे।

एक दिन लक्ष्मण राव इनामदार मोदी की दुकान में चाय पी रहे थे। मोदी की वाकपटुता से वह इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मोदी को आरएसएस से जुड़ने की सलाह दे डाली। आरएसएस से जुड़ने के साथ-साथ उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी। 1980 में मोदी ने गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर परीक्षा दी और एमएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह राजनीति में पूरी तरह से समर्पित हो गए।

2022 तक दोगुनी होगी किसानों की आय? मोदी सरकार के इस वादे का प्रोगेस रिपोर्ट

पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह एक महत्वाकांक्षी उद्देश्य है और इसके लिए सरकार द्वारा बहु-आयामी रणनीति की आवश्यकता है। इस लेख में, हम कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए और देश में कृषि विकास को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देंगे।

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इस लेख में हम विशेष रूप से, हम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना , मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना और राष्ट्रीय कृषि बाजार की प्रगति का विश्लेषण करेंगे। एनडीए सरकार के पहले दो वर्षों में लगातार सूखे की वजह से खेती की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। जैसा कि भारतीय कृषि मानसून पर अत्यधिक निर्भर रहती है, इन ‘प्राकृतिक झटकों’ के कारण किसानों के लिए गंभीर परिणाम हैं। प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को किसानों के जोखिम को कम करने और उन्हें आय सुरक्षा प्रदान करने के लिए पेश किया गया था।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में प्रगति
वर्ष 2016-17 का फसल पीएमएफबीवाई (प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना) का पहला साल था, जो खरीफ 2016 से पहले शुरू हुआ था। कार्यक्रम की प्रभावकारिता का आकलन करने के लिए प्रमुख बैरोमीटरों में से एक फसल बीमा कवरेज में वृद्धि है। हम पाते हैं कि पीएमएफबीवाई की शुरूआत के बाद, कुल फसल क्षेत्र का बीमा 23% से 30% तक बढ़ गया है। यह एक वर्ष की अवधि में उल्लेखनीय वृद्धि है और इसे मुख्य रूप से पीएमएफबीवाई की शुरूआत में जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
इसके अलावा, सरकार अगले दो वर्षों के लिए हर साल 10 प्रतिशत अंकों की दर से कवरेज बढ़ाने और 201 9 तक 50% कवरेज हासिल करने का इरादा रखती है। सरकार ने पीएमएफबीवाई के लिए वित्तीय आवंटन को पर्याप्त रूप से बढ़ाकर कार्रवाई के साथ अपने इरादे का समर्थन किया है। 5500 करोड़ रुपए से अधिक 13000 करोड़ पीएमएफबीवाई के तहत 35.5 मिलियन किसानों का बीमा किया गया, जो कि खरीफ 2013 में सिर्फ 12.1 मिलियन था, और राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के तहत खरीफ 2011 में 25.4 मिलियन और संशोधित एनएआईएस संयुक्त था। साथ ही, बीमित राशि में खरीफ 2015 में 60,773 करोड़ रुपये से ज्यादा की वृद्धि हुई और अब यह पीएमएफबीवाई के तहत 1,08,055 करोड़ रुपये हो गया है।

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प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना
मानसून और प्राकृतिक वर्षा पर उच्च निर्भरता भारतीय कृषि की गहरी समस्याओं में से एक है। यह अनुमान लगाया गया है कि देश की आधे से अधिक कृषि भूमि वर्षा होती है और आश्वस्त सिंचाई की आवश्यकता होती है। 2015 में, सरकार ने त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) को पुनर्जीवित किया और प्रधान मंत्री कृषि सिंचै योजना (पीएमकेएसवाई) ने एक प्रमुख कार्यक्रम शुरू किया। इस योजना के माध्यम से, सरकार का उद्देश्य देश भर में आश्वस्त सिंचाई के लिए ग्रामीण सेना की योजना की सफलता को दोहराना है।

मोदी सरकार के तीन साल विदेश में धाक तो देश में साख

आजादी के 70 साल बीत रहे हैं। देश ने अनेक सरकारों को देखा है। आम जनता को सभी केन्द्रीय सरकारों के खट्टे-मीठे अनुभव प्राप्त हुए हैं। एक समय था जब विपक्ष सोच भी नहीं सकता था कि वह राष्ट्रीय स्तर पर सत्तासीन हो सकेगा, लेकिन लंबे समय तक विपक्ष में रहनेवाली पार्टी को जनता-जनार्दन ने अधिकांश राज्यों सहित केंद्र में भी व्यापक जनसमर्थन दिया है।

प्रतिकूलता में धैर्य और साहस की आवश्यकता होती है और अनुकूलता में मर्यादा और विनम्रता की आवश्यकता होती है।Pm Narendra Modi 00

भारतीय राजनीति के इतिहास में दर्ज
16 मई और 26 मई 2014- यह तिथि भारतीय राजनीति के इतिहास में दर्ज हो चुकी है। भारतीय राजनीति और भारत की सरकार को स्थायित्व देने का सुनहरा समय प्रारंभ हुआ। समय किसी का सहोदर नहीं होता है। वह तो आता है और चला जाता है। आज जब हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीन वर्षों के कार्यों और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कार्यों का अवलोकन करते हैं तो लगता है कि मोदी सरकार आध्यात्मिक समाज के भगवान श्रीराम के मर्यादाओं से बंधकर जनहितार्थ कार्य करने में लगे हुए हैं और वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भगवान श्रीकृष्ण के पथ पर चलकर नयी राजनीति से दल का विस्तार करते हुए परिणाम तक ले जाने में जुटे हुए हैं।

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अगड़ों और अमीरों की पार्टी होने का ग्रहण
वर्षों से भाजपा पर अगड़ों और अमीरों की पार्टी होने का ग्रहण लगता रहा। मोदी सरकार और भाजपा संगठन ने पिछले तीन वर्षों में इस मिथक को तोड़ते हुए हर गरीब के घर-घर में यह बात पहुंचाने का सफलतम प्रयास किया है कि मोदी सरकार और भाजपा संगठन गरीबों की पार्टी है और समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने वाली पार्टी है।

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न नारा दिया, न वादा किया
‘गरीबी हटाओ’ जैसे नारे आजादी के बाद कांग्रेस देती रही, लेकिन गरीबी हटी नहीं। भाजपा ने न नारा दिया, न वादा किया। प्रधानमंत्री ने संसद की चौखट पर माथा टेकते हुए पहला वाक्य कहा कि यह सरकार गरीबों की सरकार है। और अपने पहले वाक्य को अभी तक जमीन पर साकार करने के लिए मोदी सरकार का हर फैसला साकार होता दिख रहा है।

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देश भ्रष्टाचार से त्रस्त
भारतीय समाज को पहली बार यह अहसास हो रहा है कि निर्वाचित सरकार हमारी है। सरकार की सफलता पहले पायदान पर उस समय समझ में आती है कि जब समाज यह कहने लगे कि जो हम सोच रहे हैं वही सरकार कर रही है। देश भ्रष्टाचार से त्रस्त था। घोटालों की गूंज से संसद गूंजती रहती थी। आम आदमी का जीवन भ्रष्टाचार के कारण त्रस्त हो गया था। तीन साल में कालेधन पर रोक, भ्रष्टाचार से मुक्ति और बेनामी संपत्ति पर अलीगढ़ का ताला लगाने का जो सफलतम प्रयास मोदी सरकार ने किया है वह हर जुबां पर है।

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विमुद्रीकरण का ऐतिहासिक फैसला
कालेधन से मुक्ति के लिए विमुद्रीकरण का ऐतिहासिक फैसला किया गया। विमुद्रीकरण की परीक्षा में नरेन्द्र मोदी जहां शत-प्रतिशत सफल हुए हैं, वहीं गरीबों ने अपनी आवाज से सरकार के साथ आवाज मिलाकर दो-टूक लोकतांत्रिक फैसला दिया कि विमुद्रीकरण पर मोदी सरकार के साथ हैं। इतना कठोर निर्णय! गरीब से गरीब को कठिनाई हुई, लेकिन सबके मन में एक खुशी थी कि कालाधन और भ्रष्टाचार रोकने का इससे बड़ा कोई उपाय नहीं है।

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तकदीर के खाते खोलने का काम
विपक्षी पूछते हैं कि सरकार ने क्या किया? मैं उनको कहना चाहता हूं कि तीन साल में 49 करोड़ लोगों से अधिक को सीधा लाभ पहुंचाने और उनके सिर्फ बैंक खाते ही नहीं, बल्कि तकदीर के खाते खोलने का काम किया है। कुछ आंकड़े- जनधन-योजना के तहत 27.97 करोड़ खाते खोले गए। इन खातों में इन गरीबों ने स्वयं 63.835 करोड़ रुपए जमा किए। अब इन खातों में सरकारी योजनाओं की राशि जाने लगी। 13 करोड़ गरीबों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा में शामिल किया गया। स्टार्टअप एवं स्टैण्डअप योजना के तहत मुद्रा योजना के माध्यम से 6.6 करोड़ लोगों ने ऋण लिये और व्यापार शुरू किया। उज्ज्वला योजना के तहत समाज के अंतिम व्यक्ति जैसे 2 करोड़ लोगों को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन दिए गए। यह उज्ज्वला यही नहीं थमेगी, आनेवाले वर्षों में 5 करोड़ लोगों के घर की धुआं बंद करेगी।

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तीन साल में, विपक्षी पूछते हैं
क्या किया तीन साल में, विपक्षी पूछते हैं? राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बाद स्वच्छ भारत को अगर किसी ने जनांदोलन बनाया तो वह है नरेन्द्र मोदी की सरकार ने। स्वच्छता, समाज को स्वस्थता की ओर ले जा रही है। स्वच्छ भारत का अभिप्राय है स्वस्थ भारत। सामान्य सी बात लगती है, लेकिन उजाला एलईडी योजना, जिसके पीछे बिजली बचाओ अभियान है, इसके तहत 11 करोड़ 8 लाख एलईडी बल्ब वितरित किए गए।

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आवासहीन लोगों के सपने को साकार करना
प्रधानमंत्री आवास योजना को सफल करने के लिए बैंक के ब्याज दरों में कमी और 2022 तक 5 करोड़ आवासहीन लोगों के सपने को साकार करने की दिशा में जो कदम उठाया जा रहा है वह ऐतिहासिक कहा जाएगा। 12 हजार करोड़ की प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना करोड़ों हाथों को हुनर देने के लिए स्वयं आगे आ रहा है।
मोदी सरकार द्वारा किसानों के लिए अनेक कार्य किए जा रहे हैं। भारत कृषि प्रधान देश है। हमारी अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। किसान यदि सुरक्षित नहीं तो भारत सुरक्षित नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की सुरक्षा के लिए फसल बीमा राशि दुगुनी कर दी और किसानों के लिए प्रीमियम राशि को अब तक के दुगुने स्तर पर लाया गया। अब तक देश के 3 करोड़ 86 लाख किसानों ने इस योजना के तहत अपने को सुरक्षित किया है।

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हर खेत को पानी
इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, जिसके तहत ‘हर खेत को पानी’ के लिए पिछले दो वर्षों से 12.7 लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर सूक्ष्म सिंचाई की व्यवस्था की गई है। किसान की आय दुगुनी करने के लिए जबर्दस्त योजना बनाई गई है। ‘अच्छे दिन आएंगे’ ये नारा नहीं है। अच्छे दिन आ रहे हैं। 31 मार्च 2014 को उपभोक्ता महंगाई दर 9.46 प्रतिशत थी जो 31 मार्च 2017 को तीन साल के अंदर घटकर 3.81 प्रतिशत हो गई है। ये आंकड़े भारत के हैं, भाजपा के नहीं। 31 मार्च 2014 को जीडीपी जो 6.7 प्रतिशत थी वह 31 मार्च 2017 को 7.10 प्रतिशत हो गई। 31 मार्च 2014 को औद्योगिक उत्पादन दर नकारात्मक -0.10 प्रतिशत थी जो 31 मार्च 2017 को 3 साल के अंदर बढ़कर 5.2 प्रतिशत हो गई है।

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सड़कों का निर्माण
सड़कों की बात करें तो एक लाख 20 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण कोई सामान्य बात नहीं है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2016-17 में 48,000 किमी सड़क निर्माण हुआ और हर रोज 133 किमी सड़क का निर्माण किया जा रहा है। 2013-14 में रोजाना 69 किमी सड़क का ही निर्माण होता था। इतना ही नहीं प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से निम्न और मध्यम वर्ग के शोषण का खात्मा हुआ। मोदी सरकार के 19 मंत्रालयों और विभागों की 92 योजनाआंे में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण लागू होने से 49,560 करोड़ की बचत हुई।

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महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण को लेकर सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से मिले लाभों में 79 प्रतिशत महिलाएं हैं। सुकन्या समृद्धि योजना से 1 करोड़ खाते खोले गए और कुल 11,000 करोड़ रुपए जमा किए गए। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम अत्यंत सफल कार्यक्रम साबित हो रहा है। मोदी सरकार ने गरीब की रसोई को धुआं मुक्त कर दिया है और अब तक 2 करोड़ 20 लाख गरीब परिवार की माताएं-बहनें इसका लाभ ले रही हैं।

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‘मेक इन इंडिया’
मोदी सरकार की प्राथमिकता है युवाओं का विकास और प्रोत्साहन। स्टार्टअप्स अभियान के माध्यम से युवाओं को वित्तीय सहायता दी जा रही है, जिससे युवा अब केवल नौकरी नहीं मांग रहा है अपितु व्यवसाय कर वह रोजगार सृजन में भी जुट रहा है। सरकारी नौकरियों में भर्ती की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया गया है तथा 34 लाख से अधिक गैर-राजपत्रित पदों पर भर्ती के लिए साक्षात्कार की बाध्यता को समाप्त किया गया है। मोदी सरकार की अभिनव योजना ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। भारत ने उत्पादों की गुणवत्ता के मामले में चीन को सात स्थान पीछे धकेल दिया है।

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‘वन रैंक, वन पेंशन’
मोदी सरकार सुरक्षा बलों के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है। रिटायर्ड सैनिकों के हित में सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए चार दशकों से लंबित ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की मांग को पूरा किया। बांग्लादेश के साथ लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को मोदी सरकार ने सुलझाया। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है। भारतीय सेना ने पीओके में आतंकवादियों को उसके घर में घुसकर मारा और सर्जिकल स्ट्राइक से विश्व में देश की साख बढ़ी। इससे पहले म्यांमार में भी आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाया।

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अप्रचलित कानूनों को निरस्त
विधि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किए गए। 1100 से ज्यादा अप्रचलित कानूनों को निरस्त किया गया और ऐसे ही 400 अन्य कानूनों को निरस्त किए जाने की कार्रवाई की जा रही है। वहीं, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। मोदी सरकार में संविधान, सीमा और सेना का गौरव बढ़ा है। दुनिया भर में भारत की साख और धाक बढ़ी है। प्रधानमंत्री के विदेश प्रवास से भारतवंशियों के बीच उत्साह जगा है। कैबिनेट के निर्णय और आंकड़ों पर जाएं तो शब्द और पन्ने कम पड़ जाएंगे।

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सबसे बड़ी पार्टी आज भारतीय जनता पार्टी
दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी आज भारतीय जनता पार्टी है। 17 राज्यों मंे एनडीए की सरकार है। इन राज्यों में 61 प्रतिशत आबादी रहती है, अर्थात् देश की दो तिहाई आबादी की सेवा एनडीए सरकार कर रही है। कांग्रेस शासित राज्य की आबादी मात्र 9 प्रतिशत रह गई। कांग्रेस की केवल 6 राज्यों में सरकार है। इन राज्यों में केवल 8.6 प्रतिशत आबादी रहती है।

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283 लोकसभा सांसद
भाजपा के 283 लोकसभा सांसद है। राज्य सभा में 56 सांसद हैं। एनडीए के 339 लोकसभा सांसद हैं और राज्यसभा में 74 सांसद हैं। 10 सदस्यों के साथ शुरू हुई भाजपा 12 करोड़ सदस्य के साथ आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है। पूरे देश में भाजपा के 1,398 विधायक हैं। अजजा और अजा के सर्वाधिक सांसद भाजपा के हैं। सर्वाधिक महिला सांसद भाजपा के हैं। सर्वाधिक महापौर भाजपा के हैं। सर्वाधिक जिला पंचायत और पार्षद भाजपा के हैं। सर्वाधिक गांव के सरपंच भाजपा के हैं। आनेवाले दिनों में एनडीए राष्ट्र की पसंद का राष्ट्रपति चुनने वाला है।

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नरेन्द्र मोदी
विश्व के नामवर नेताओं में एक श्रेष्ठ नाम आता है नरेन्द्र मोदी का। अंग्रेजी में ग्लोबल और हिंदी में वैश्विक नेता का स्थान बनाने में उन्होंने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की। संगठन और साथ के समन्वय का इतिहास रचा जा रहा है। अनुकूलता के इस वर्चस्वशाली माहौल में देश की निगाहें भाजपा की ओर टिकी हुई हैं। कांग्रेस युग की समाप्ति का दौर चल रहा है। भाजपा युग के आगमन का दौर प्रारंभ हो चुका है। इस अनुकूल माहौल में हम सबका दायित्व बढ़ गया है। देश में अधिकारों की बजाय देश के लिए कर्तव्य करने का भाव पैदा हुआ है। तीन साल में भारतीय राजनीति ने अपनी खोई हुई साख को लौटाने की दिशा में एक नहीं, अनेक कदम उठाए हैं। मई 2014 के पहले रोज भ्रष्टाचार की चर्चा सदन में और सड़क पर होती थी, पर गत 3 वर्षों में न देश में, न संसद में, न सड़क पर मोदी सरकार में भ्रष्टाचार का आरोप न लगना यह दर्शाता है कि भारत भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र की श्रेणी की ओर अग्रसर हो रहा है। देश न प्रधानमंत्री का है, न भाजपा का। देश भारत के सवा सौ करोड़ आबादी का है और उसकी सेवा का जो सुनहरा मौका मिला है, उस दिशा में भाजपा और भाजपा सरकार का कदम सदैव उठते रहना चाहिए।

पीएम मोदी की सख्ती बेअसर, 1800 से ज्यादा IAS ने नहीं दिया अचल संपत्तियों का ब्योरा

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के आंकड़ों के अनुसार 1800 से ज्यादा आईएएस अधिकारियों ने नियत समयावधि के अंदर सरकार को अपनी अचल संपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया है. भारतीय प्रशासकीय सेवा के सभी अधिकारियों को जनवरी अंत तक पिछले साल का अचल संपत्ति रिटर्न जमा करना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर उन्हें पदोन्नति और एंपैनेलमेंट से वंचित किया जा सकता है. डीओपीटी के आंकड़ों के अनुसार 1856 आईएएस अधिकारियों ने 2016 के लिए अपना रिर्टिन दाखिल नहीं किया है.

जबकि राजस्थान के 153 और मध्य प्रदेश के 118 अधिकारियों ने भी रिटर्न दाखिल नहीं किया है. पश्चिम बंगाल के 109 और अरूणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम-केन्द्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के आईएएस अधिकारियों ने भी अपने रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं.

डीओपीटी के आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक काडर के 82, आंध्रप्रदेश के 81, बिहार के 74, ओडिशा, असम एव मेघालय के 72-72, पंजाब के 70, महाराष्ट्र के 67, मणिपुर-त्रिपुरा के 64 और हिमाचल प्रदेश के 60 आईएएस अधिकारियों ने भी अपने र्टि दाखिल नहीं किए हैं. नियमत:, माना जाता है कि सिविल सेवा अधिकारी अपनी संपत्तियों और देनदारियों का ब्योरा सरकार को देंगे.

भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने आईएएस अधिकारियों के लिए कई नियम बनाए हैं. इसके तहत अधिकारियों को 5 हजार रुपये तक का उपहार स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है. इसके अलावा यदि वे अपने रिश्तेदारों, दोस्तों से 25 हजार रुपये तक के गिफ्ट लेने के लिए सरकार को सूचना देनी पड़ती है. मोदी सरकार ने भी रिश्वतखोरी पर रोक लगाने के लिए इन कानूनों को सख्ती से लागू करने की बात की थी लेकिन IAS अधिकारियों पर उनकी सख्ती का कोई असर होता नहीं दिख रहा. 2015 में 1527 और 2014 में 1537 अधिकारियों ने अचल संपत्ति से जुड़ी अपनी जानकारी देने से इनकार कर दिया था.

दो दिन के गुजरात दौरे पर पीएम मोदी, जानें पूरा कार्यक्रम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को दो दिवसीय गुजरात दौरे पर रवाना होंगे. पिछले 10 महीने में यह 11 मौका होगा जब पीएम मोदी अपने गृह राज्य गुजरात जा रहे हैं. मोदी यहां कच्छ के भचाउ नर्मदा ब्रांच के पंपिग स्टेशन का लोकार्पण करेंगे. इसके अलावा पीएम यहां एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे.

मोदी दोपहर में गांधीधाम में कंडला पोर्ट ट्रस्ट के कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. यहां भी वह एक जनसभा को संबोधित करेंगे. शाम करीब 7 बजे पीएम कच्छ से अहमदाबाद के लिए रवाना होंगे. अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का स्वागत के लिए पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता जुटेंगे. यहां पीएम पार्टी के नेताओं से चुनाव की तैयारियां का जायजा भी लेंगे.

अहमदाबाद से पीएम मोदी गांधी नगर जाएंगे और वहीं रात्रि विश्राम करेंगे. यहां पीएम मोदी अपनी मां हीरा बेन से भी मिल सकते हैं. मंगलवार को पीएम मोदी गांधीनगर के महात्म मंदिर में अफ्रीकी विकास बैंक (एएफडीबी) समूह की सालाना बैठक में हिस्सा लेंगे. विदेशी डेलिगेशन के साथ लंच के बाद दिल्ली के लिए रवाना होंगे.

प्रधानमंत्री ने अपने दौरे के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी है. उन्होंने कहा ‘मैं दो दिवसीय गुजरात दौरा शुरू करुंगा, जिस दौरान मैं कच्छ और गांधीनगर में होने वाले कार्यक्रमों का हिस्सा बनूंगा.’एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘मैं कांडला पोर्ट पर विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और आधारशिला रखूंगा और गांधीधाम में एक जनसभा को संबोधित करुंगा.’

कच्छ दौर पर मोदी ने ट्वीट किया, ‘कच्छ की मेरे दिल में बेहद खास जगह है. यह शानदार लोगों और लचीलेपन की उल्लेखनीय भावना से युक्त है.’ उन्होंने कहा, ‘2001 के भूकंप की वजह से अविश्वसनीय तबाही झेलने के बाद कच्छ आज भारत के सबसे तेजी से बढ़ते जिलों के तौर पर जाना जाता है.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले तेंदुलकर, अपनी फिल्म ‘सचिन ए बिलियन ड्रीम्स’ को लेकर की चर्चा

पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करके उनसे जल्द ही रिलीज होने वाली अपने जीवन पर आधारित फिल्म ‘सचिन ए बिलियन ड्रीम्स’ पर चर्चा की. तेंदुलकर ने इस बैठक के बारे में कहा, ‘‘मैं दिल्ली में था और इसलिए मुझे लगा कि यह फिल्म किस बारे में है, यह उन्हें बताना अच्छा रहेगा और वह काफी खुश थे और उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.’ अपने जमाने के इस दिग्गज बल्लेबाज ने कहा, ‘उन्होंने मुझसे कहा कि फिल्म न केवल भावी पीढ़ी को प्रेरित करेगी बल्कि मेरी जिंदगी के उतार-चढ़ावों से सभी को पता चलेगा कि चुनौतियां हर जगह होती हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप आत्मसमर्पण कर दो. आपको इन चुनौतियों से पार पाना होता है और उन्होंने कहा कि यह हर किसी की जिंदगी में लागू होता है.’

जेम्स अर्सकिन के निर्देशन में तेंदुलकर की जीवनी पर आधारित यह फिल्म 26 मई को रिलीज होगी. इसके निर्माता रवि भागचंदका हैं. एआर रहमान ने फिल्म का संगीत दिया है. तेंदुलकर ने कहा, ‘उन्होंने कहा कि, मेरा आशीर्वाद आपके साथ है. मैं उनसे मिलकर वास्तव में खुश हूं और इसके बाद उन्होंने मेरे लिये कुछ खास लिखा. उन्होंने लिखा, ‘जो खेले, वही खिले’, और यह बहुत दमदार संदेश है विशेषकर तब जबकि आप खिलाड़ी हों. मेरे लिये यह काफी मायने रखता है.’ इससे पहले तेंदुलकर ने प्रधानमंत्री के साथ अपनी मुलाकात की तस्वीर भी ट्वीट की थी. उनके साथ उनकी पत्नी अंजलि भी थीं. प्रधानमंत्री ने भी इस बैठक के बारे में ट्वीट किया.

मोदी ने लिखा,

सचिन तेंदुलकर के साथ बैठक बहुत अच्छी रही. उनकी जीवन यात्रा और उपलब्धियों पर हर भारतीय गर्व करता है और वह एक अरब 25 करोड़ लोगों को प्रेरित करती हैं.’

योगी आदित्यनाथ बिहार में मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाएंगे

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति समेत अन्य अग्रणी नेता और सांसद पिछले तीन साल में नरेंद्र मोदी सरकार की सफलताएं गिनाने के लिए बिहार आएंगे. नरेंद्र मोदी सरकार 26 मई 2017 को अपना तीन साल पूरा करेगी. बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हमारे राष्ट्रीय और राज्य के महत्वपूर्ण नेता पिछले तीन वर्षों में नरेंद्र मोदी सरकार की सफलताएं बताने के लिए देश के विभिन्न हिस्से में जाएंगे.’

सुशील मोदी ने कहा, ‘पार्टी के सघन अभियान के तहत उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति समेत अन्य अग्रणी नेता और सांसद 25 मई से 15 जून के बीच राज्य का दौरा करेंगे.’