Monthly Archives: November 2016

सरकार का काम ईमानदार कर्मचारियों को संरक्षण प्रदान करना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि सरकार का काम ईमानदार कर्मचारियों का संरक्षण सुनिश्चित करना होना चाहिए और उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
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प्रधानमंत्री का बयान इस लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि कुछ सेवारत और सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों ने संरक्षण की मांग की है जिनका नाम कथित तौर पर कोयला ब्लॉक और स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े कुछ बड़े घोटालों में आया था.
मोदी ने कहा, ‘यह सच है कि लोग कानूनों से नहीं डरते. सरकार में भी, अगर कर्मचारी को निलंबित किया जाता है तो उसे पता है कि उसे 50 प्रतिशत वेतन मिलेगा. फिर विभागीय जांच होगी जिसे अपने हिसाब से संभाल लिया जाएगा और जांच पूरी होने पर उसे बहाल कर दिया जाएगा और अंतत: सारा बकाया मिल जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘जो ईमानदारी से काम करना चाहता है, उसके लिए इस तरह की प्रणाली समस्या पैदा कर रही है. ऐसे में सरकार का काम ईमानदार लोगों का संरक्षण सुनिश्चित करना है और उन्हें उनका उचित हिस्सा दिलाना है. हमें इस पर जोर देना होगा.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि आम लोग और देश के अधिकांश सरकारी कर्मचारी बेइमान नहीं हैं.

मोदी ने कहा, ‘आम आदमी बेइमान नहीं है. आम सरकारी कर्मचारी बेइमान नहीं है. बड़ा वर्ग है जो ईमानदारी के साथ रह रहा है लेकिन कुछ लोग हैं जिनकी वजह से यह धारणा बनती है कि सभी कर्मचारी भ्रष्ट हैं.’ प्रधानमंत्री केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा आयोजित सतर्कता जागरुकता सप्ताह के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे. केंद्रीय कर्मचारियों के विभिन्न संगठन अपने सदस्यों के लिए संरक्षण की मांग करते रहे हैं.

अगले तीन महीने के भीतर 600 मिलियन पाउंड के मसाला बॉन्ड लंदन में हो सकते हैं लिस्टेड

अगले तीन महीनों के भीतर लंदन में करीब 600 मिलियन पाउंड ($748 मिलियन) के चार रुपए मूल्यवर्ग के बॉन्ड्स- जिन्हें बोलचाल की भाषा में मसाला बॉन्ड भी कहा जाता है- लिस्ट किए जा सकते हैं. ब्रिटेन की सरकार ने सोमवार को यह कहा. बता दें कि ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे भारत की दो दिवसीय यात्रा पर है.

बता दें कि मसाला बांड विदेश में रुपये में जारी किए जाने वाले बॉन्ड होते हैं. इन चारों बॉन्ड्स के जरिए भारतीय हाइवे और रेल नेटवर्क को बढ़ाने के लिए फाइनेंस प्राप्त होने और ऊर्जा दक्षता व अक्षय ऊर्जा की दिशा में की गई योजनाओं को हासिल करने में मदद मिलेगी. ये बॉन्ड भारतीय सरकार के सपोर्ट वाले कॉरपोरेट इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन, इंडियन रीन्यूबेल एनर्जी डेवेलपमेंट एजेंसी, एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेस लिमिटेड और नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा जारी किए जाएंगे. ये जनवरी 2017 तक जारी कर दिए जाएंगे.
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ब्रिटिश पीएम ने कहा- यह भारत के विकास की गाथा में ‘वोट ऑफ कॉन्फिडेंस’ है. और यह दुनिया के प्रमुख वित्तीय केंद्र के तौर पर लंदन के लिए भी ‘वोट ऑफ कॉन्फिडेंस’ है. मे कह चुकी हैं कि वह भारत में अपनी यात्रा को पूरी तरह से भुनाना चाहेंगी जोकि उनकी किसी गैर यूरोपीय देश में (जुलाई में पदभार संभालने के बाद) पहली यात्रा है. वह दोनों देशों के बीच संबंध प्रगाढ़ करना चाहेंगी और ब्रेक्जिट के बाद की कारोबार संधियों के लिए रास्ता मुहाल करना चाहेंगी.

सराकर का कहना है कि जुलाई से लेकर अब तक 900 मिलियन पाउंड से अधिक मसाला बॉन्ड लंदन में जारी किए गए हैं जोकि वैश्विक बाजारों का 70 फीसदी है. मे ने एक स्टेटमेंट में कहा कि हमारी सरकार भारत और हमारी फाइनेंशल सर्विसेस के साथ और निकटता से काम करना चाहेगी ताकि बॉन्ड मार्केट में रुपए की ग्रोथ कायम रहे ताकि भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी इन्वेस्टमेंट प्लान्स को वित्तीय मदद मिलती रहे. बता दें कि 2015 में पेश किए गए मसाला बॉन्ड भारतीय कंपनियों के लिए धन बनाने के लिए एक मौका हैं और साथ ही इनके जरिए इंटरनेशनल इन्वेस्टर्स की जीरो-मुनाफे वाली जगहों पर अच्छा मुनाफा कमाने के मौके देना है.

भारत से व्यापार बढ़ाना चाहता है ब्रिटेन, लेकिन भारत ज़्यादा वीसा पाने का इच्छुक : 10 खास बातें

  1. हालांकि जब तक ब्रिटेन पूरी तरह यूरोपीय यूनियन से बाहर नहीं निकल जाता, जो वर्ष 2019 में संभावित है, वह किसी भी देश के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक समझौता नहीं कर सकता है, लेकिन थेरेसा मे ने संकेत दिए कि वह ईयू से बाहर निकलते ही देरी करने के पक्ष में नहीं हैं. सोमवार को उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “(साझा हितों वाले इलाकों की) पहचान के लिए हमारे यूरोपियन यूनियन से बाहर निकल आने का इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है…”
  2. दूसरी ओर, चूंकि भारत सरकार विद्यार्थियों तथा कुशल कामगारों के लिए ब्रिटेन पहुंचने का रास्ता आसान करने को लेकर उत्सुक है, इसलिए दोनों देशों के बीच होने वाली हर बातचीत में वीसा की संख्या अहम मुद्दा रहने की संभावना है. थेरेसा मे ने सोमवार को भारतीय व्यापारिक यात्रियों के लिए वीसा प्रक्रिया आसान करने का वादा किया, लेकिन भारतीय विद्यार्थियों के लिए नहीं.
  3. वैसे, चूंकि ब्रिटेन ईयू को छोड़ते ही बड़े समझौते करने की ताक में है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास ‘सौदेबाज़ी’ करने के लिए ज़्यादा अवसर हैं.
  4. थेरेसा मे, जो चाहती हैं कि मुक्त व्यापार के क्षेत्र में ब्रिटेन दुनियाभर में सबसे आगे हो, ने कहा कि वह अपनी भारत यात्रा का इस्तेमाल भारत से व्यापार के रास्ते की अड़चनों को कम करने तथा ब्रेक्ज़िट के बाद के दौर में भारत से मुक्त व्यापार के लिए समझौते का रास्ता साफ करने के लिए करना चाहती हैं.
  5. भले ही इस समझौते से ब्रिटेन को होने वाला फायदा साफ दिखाई देता है, लेकिन ऐसा समझौता हो पाना भी बहुत आसान नहीं है. भारत में आज भी दरों और नौकरशाही (लालफीताशाही) का ऐसा जाल मौजूद है, जिसकी वजह से आमतौर पर भारत को व्यापार करने के लिए दुनिया के सबसे कठिन देशों में शुमार किया जाता है. इसके अलावा, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार भी काफी कम है – पिछले साल यह सिर्फ 14 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था, जो भारत और जर्मनी के बीच होने वाले व्यापार से भी कम है.
  6. भारत में खासतौर से उन विद्यार्थियों के लिए वीसा पाबंदियों को लेकर नाराज़गी है, जो यूनिवर्सिटी कोर्स खत्म होने के बाद भी ब्रिटेन में रहना चाहते हैं, और इसी वजह से वहां जाने वाले भारतीय विद्यार्थियों में 50 फीसदी की कमी आई है.
  7. बहरहाल, थेरेसा मे ने कहा कि ब्रिटेन पहले से ही भारतीयों को खास दर्जा देता है, जिसके तहत वे ‘उसी दिन वीसा’ (सेम डे वीसा) के लिए आवेदन कर सकते हैं, और इसके अलावा उन्होंने नई ‘रजिस्टर्ड ट्रैवलर्स फी’ की योजना बनाई है, ताकि भारतीय व्यापारियों को कस्टम क्लियरेंस में कम वक्त लगे.
  8. लगभग तीन दर्जन व्यापारिक दिग्गजों के प्रतिनिधमंडल के साथ भारत आईं थेरेसा मे रविवार रात को नई दिल्ली पहुंची थीं, और मंगलवार को वह आईटी बह कहलाने वाले बेंगलुरू शहर जाएंगी.
  9. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “यह अहम है कि इतिहास के ज़रिये एक दूसरे से जुड़े रहे भारत और यूके 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्यवस्था के लिए मिलकर काम करें…” उन्होंने 100 ‘स्मार्ट सिटी’ जैसे अपने खास अभियानों में शामिल होने के लिए यूके के साझीदारों को आमंत्रित भी किया.
  10. वर्ष 2010 के बाद से ब्रिटेन में पढ़ने जाने वाले भारतीय नागरिकों की गिनती में आई तेज़ कमी की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘शैक्षिक तथा शोध अवसरों में युवाओं की भागीदारी तथा गतिशीलता बढ़ाने का भी आह्वान किया…’
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भारत और जापान पीएम मोदी की यात्रा के दौरान कर सकते हैं परमाणु करार पर हस्ताक्षर

अगले हफ्ते हो रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय जापान यात्रा के दौरान भारत और जापान असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. इस बहुप्रतीक्षित समझौते के लिए दोनों पक्षों ने आतंरिक प्रक्रियाएं पूरी कर ली है.
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दोनों देशों ने पिछले दिसंबर में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान असैन्य परमाणु ऊर्जा में सहयोग के लिए व्यापक समझौते को एक रूपरेखा प्रदान कर दी थी, लेकिन अंतिम संधि पर हस्ताक्षर होना बाकी था, क्योंकि कुछ तकनीकी एवं कानूनी मुद्दों को सुलझाया जाना था.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि दोनों देशों ने इस संधि के मूल पाठ की कानूनी एवं तकनीकी पहलुओं समेत आतंरिक प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं.

लेकिन जब उनसे विशिष्ट रूप से पूछा गया कि क्या 11 नवंबर से शुरू हो रही पीएम मोदी की यात्रा के दौरान इस संधि पर हस्ताक्षर हो जाएगा, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा, ‘मैं वार्ता के नतीजे के बारे में पहले से ही कोई मूल्यांकन नहीं कर सकता’. जापान में विशेषकर वर्ष 2011 की फुकूशिमा परमाणु संयंत्र आपदा के बाद भारत के साथ परमाणु करार की दिशा में आगे बढ़ने के विरूद्ध राजनीतिक विरोध के स्वर हैं.

विश्वसनीयता मीडिया के सामने मौजूद सबसे बड़ी चुनौती : पीएम नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि तकनीक के युग में मीडिया के लिए विश्वसनीयता सबसे बड़ी चुनौती है और मीडिया प्रतिष्ठानों के लिए इसे बनाए रखना जरूरी है. ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ अखबार द्वारा आयोजित रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवॉर्ड्स समारोह में पुरस्कार वितरण के बाद पीएम मोदी ने कहा कि पहले निश्चित प्रशिक्षण एवं योग्यता के साथ लोग पत्रकारिता में आते थे, लेकिन अब मोबाइल फोन से कोई भी तस्वीर लेकर उसे अपलोड कर सकता है.

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उन्होंने कहा, ‘लोगों के पास अब बहुत सारी खबरें आती हैं. इस संदर्भ में विश्वसनीयता बनाए रखना एक बड़ा मुद्दा है और इस समय की यह सबसे बड़ी मांग है.’ प्रधानमंत्री ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि जहां मीडिया के पास हर चीज और हर किसी के ऊपर टिप्पणी करने की पूरी स्वतंत्रता है, वहीं उसे खुद को लेकर दूसरों के रुख पसंद नहीं आते.

उन्होंने कहा कि वह आजादी के बाद से मीडिया में इतनी चर्चा पाने वाले एकमात्र विशेषाधिकार प्राप्त नेता हैं और वह इसके लिए हमेशा मीडिया के आभारी रहेंगे. पीएम मोदी ने मीडिया के सामने दो मुद्दे निर्धारित करते हुए कहा कि उन्हें मीडिया द्वारा सरकार की आलोचना से दिक्कत नहीं है, लेकिन खबर देने में कोई गलती नहीं होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय एकता प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि भारत विविधता से भरा हुआ देश है.