प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान-भारत तथा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेने और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के साथ भारत के व्यापार एवं सुरक्षा रिश्तों को मजबूत करने के लिए आज यहां पहुंचे.
अपनी दो दिन की लाओस यात्रा के दौरान शिखर सम्मेलनों से इतर मोदी कई द्विपक्षीय बैठक करने वाले हैं. इसका आगाज आज जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबे से मुलाकात से होगा.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने अपने ट्विट संदेश में कहा, ‘अभिनंदन वियेंतियाने. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के व्यस्त कूटनीति के लिए लाओस पहुंचे’.
मेजबान लाओस आज शाम सभी राष्ट्राध्यक्षों के लिए एक भोज का आयोजन करेगा. इसके बाद लाओस के प्रधानमंत्री थोंलोउन सिसोउलिथ के साथ मोदी की द्विपक्षीय वार्ता होगी.
उम्मीद की जा रही है कि सिसोउलिथ के साथ मोदी की वार्ता में चर्चा आतंकवाद, नौवहन सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी, और एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग के मुद्दों पर केन्द्रित होगी. भारत 21 सदस्यों वाले एपीईसी में शामिल होना चाहता है. यह तीसरा मौका है जब पीएम मोदी दोनों शिखर सम्मेलनों में हिस्सा ले रहे हैं.
भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में 10 दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों- इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, ब्रुनेई, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, वियतनाम तथा थाईलैंड के नेता हिस्सा लेंगे.
वहीं, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में 10 एशियाई राष्ट्रों के नेता हिस्सा लेंगे, जिनमें भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस शामिल हैं.
इससे पहले लाओस में आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेने जाने की पूर्व-संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत दक्षिण-एशियाई देशों के साथ भौतिक और डिजिटल संपर्क बढ़ाने और आधुनिक एवं एक दूसरे से जुड़ी दुनिया का उपयोग आपसी फायदे के लिए करने का इच्छुक है.
बुधवार से शुरू हो रही दो दिवसीय यात्रा से पहले अपने बयान में प्रधानमंत्री ने कहा, ”हमारी एक्ट-ईस्ट नीति के संदर्भ में आसियान महत्वपूर्ण साझेदार है और यह हमारे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.”
मोदी ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ”आसियान के साथ हमारी सामरिक साझेदारी हमारे सुरक्षा हितों और क्षेत्र में पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों के लिहाज से महत्वपूर्ण है.” उन्होंने कहा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, एशिया प्रशांत क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों एवं अवसरों के बारे में चर्चा करने को प्रमुख मंच है.