Monthly Archives: September 2016

विदेशी नीति में बदलाव : वर्ष के अंत तक 68 देशों की यात्रा करेंगे मोदी सरकार के मंत्री

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह हंगरी की यात्रा पर जाएंगे. हंगरी उन 68 देशों में से एक है जहां अब तक मोदी सरकार का कोई मंत्री नहीं गया. सरकार ने तय किया है कि इस साल के अंत तक ऐसे देशों में मंत्री स्तर का दौरा होगा जहां अब तक सरकार का कोई मंत्री नहीं गया.
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सिंह के अलावा कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद एस्तोनिया और लातविया के दौरे पर जाएंगे. संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार टोंगो जाएंगे जबकि भाजपा की साझेदार पार्टी लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं खाद्य मंत्री राम विलास पासवान मॉरीशस जाएंगे.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंत्रियों को लिखे पत्र में कहा है कि 2016 के अंत तक सरकार ऐसे किसी भी देश का दौरा नहीं छोड़ेगी जहां भारतीय मंत्री अब तक नहीं गए हैं. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ने अब तक ऐसे 68 देशों की पहचान की है.

सुषमा ने यह भी कहा है कि जिन देशों का दौरा किया जाएगा, उससे जुड़े इंतजाम संबंधित राजदूत करेंगे और यदि कोई मंत्री उन देशों में किसी खास जगह की सैर करना चाहेंगे तो उनके लिए भी इंतजाम किए जाएंगे. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इन देशों में मंत्रियों के दौरे का मकसद द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और सहयोग के क्षेत्रों को तलाशना है.

पीएम मोदी और लाओस के प्रधानमंत्री के बीच द्विपक्षीय वार्ता, दक्षिण चीन सागर पर भी हुई चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लाओस के प्रधानमंत्री थोंगलोउन सिसोउलिथ के साथ द्विपक्षीय वार्ता में दक्षिण चीन सागर के मुद्दे समेत विभिन्न क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की.

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विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि दोनों पक्षों ने दक्षिण चीन सागर पर एक ही नजरिया सामने रखा. आसियान-भारत सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने समुद्री मार्गों को ‘वैश्विक व्यापार की जीवन रेखाएं’ बताते हुए कहा कि समुद्रों की सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है.

उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के समुद्री कानून समझौते (यूएनसीएलओएस) के अनुरूप नौवहन की स्वतंत्रता का समर्थन करता है.

भारत की ओर से ये टिप्पणियां चीन द्वारा विवादित दक्षिण चीन सागर में अपनी दबंगई दिखाए जाने और ‘उभरती क्षेत्रीय चुनौतियों’ के बीच की गई हैं. दक्षिण चीन सागर के क्षेत्र पर स्वामित्व को लेकर बीजिंग का फिलीपीन, वियतनाम, ताइवान, मलेशिया और ब्रुनेई के साथ विवाद चल रहा है. दक्षिण चीन सागर एक व्यस्त जलमार्ग है, और भारत का 50 प्रतिशत व्यापार इसी मार्ग से होता है

इससे पहले चीन ने भारत के ओएनजीसी (ऑयल एंड नेचुरल गैस कमीशन) द्वारा वियतनाम के निमंत्रण पर दक्षिण चीन सागर में खनन शुरू करने पर भी आपत्ति जताई थी. माना जाता है कि दक्षिण चीन सागर की गहराईयों में तेल एवं गैस का बड़ा संग्रह मौजूद है.

सुरक्षा पर मंडराने वाला साझा खतरा है ‘आतंकवाद का निर्यात’ : आसियान देशों से पीएम मोदी

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान की ओर स्पष्ट संकेत देते हुए हुए आज ‘आतंकवाद के बढ़ते निर्यात’ पर गहरी चिंता जताई और कहा कि यह क्षेत्र की सुरक्षा पर मंडराने वाला एक साझा खतरा है. उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए आसियान के सदस्य देशों से समन्वित प्रतिक्रिया देने की अपील की.

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यहां 14वें आसियान-भारत सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि घृणा की विचारधारा के कारण बढ़ता कट्टरपंथ और अत्यधिक हिंसा का प्रसार सुरक्षा से जुड़े कुछ अन्य खतरे हैं.

नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच बढ़ते वाक्युद्ध के बीच मोदी ने दो दिन में दूसरी बार पाकिस्तान पर हमला बोला है. उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद का निर्यात, बढ़ता कट्टरपंथ और अत्यधिक हिंसा का प्रसार हमारे समाजों की सुरक्षा पर मंडराने वाले साझा खतरे हैं’. पीएम मोदी ने कहा, ‘यह खतरा स्थानीय, क्षेत्रीय और इसके साथ-साथ परिवर्तनशील है. आसियान के साथ हमारी साझेदारी विभिन्न स्तरों पर समन्वय और सहयोग के जरिए प्रतिक्रिया चाहती है’. उन्होंने कहा कि बढ़ती पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक चुनौतियों के मद्देनजर संबंधों में राजनीतिक सहयोग बेहद महत्वपूर्ण हो गया है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हम साइबर सुरक्षा, कट्टरपंथ के उन्मूलन और आतंकवाद से मुकाबले के लिए ठोस कदम उठाना चाहते हैं’. सोमवार को मोदी ने जी20 सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि दक्षिण एशिया में ‘एक देश’ ऐसा है, जो ‘आतंक के कारकों’ का प्रसार कर रहा है. पीएम ने कहा था कि आतंकवाद के प्रायोजकों पर प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए और उन्हें अलग-थलग कर देना चाहिए, न कि पुरस्कार दिया जाना चाहिए.

आज प्रधानमंत्री ने कहा कि आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति के केंद्र में है. उन्होंने विभिन्न देशों के प्रमुखों के 10 सदस्यीय समूह से कहा, ‘हमारा जुड़ाव क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि लाने वाली हमारी साझा प्राथमिकताओं से संचालित है’. उन्होंने कहा कि संपर्क को बढ़ाना आसियान के साथ भारत की साझेदारी के केंद्र में है.

मोदी ने कहा कि भारत और दक्षिणपूर्वी एशिया के बीच अबाधित डिजिटल संपर्क एक साझा लक्ष्य है. भारत आसियान संपर्क के मुद्दे पर बने मास्टर प्लान के लिए प्रतिबद्ध है.

समुद्री मार्गों को ‘वैश्विक व्यापार की जीवन रेखाएं’ बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि समुद्रों की सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के समुद्र कानून पर आधारित समझौते (यूएनसीएलओएस) के अनुरूप नौवहन की स्वतंत्रता का समर्थन करता है. उन्होंने ‘आपसी जुड़ाव की प्रकृति, दिशा और प्राथमिकताओं’ पर अपने-अपने विचार साझा करने के लिए सदस्य देशों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा, ‘हमारी साझेदारी के तीन स्तंभ हैं सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और समाज-संस्कृति, तीनों ही क्षेत्रों में अच्छी प्रगति हुई है. उन्होंने कहा कि भारत और आसियान का जुड़ाव ‘आर्थिक आशावाद’ का जुड़ाव है.

उन्होंने कहा, ‘हमारे आर्थिक संबंधों को विस्तार देना और इसे प्रगाढ़ करना जारी है’. लातोस के प्रधानमंत्री थोंगलोउन सिसोउलिथ ने भारत की एक्ट ईस्ट नीति और आसियान में भारत के योगदान की तारीफ की और उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन भविष्य के लिए दिशा उपलब्ध कराएगा.

लाओस में आज फिर होगी ओबामा और मोदी की मुलाकात : व्हाइट हाउस

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा लाओस के वियंतिन में हो रहे आसियान शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आज द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे. यह जानकारी व्हाइट हाउस ने दी. व्हाइट हाउस की ओर से प्रेस के लिए रोजाना जारी किए जाने वाले बयान में कहा गया, “दोपहर के वक्त राष्ट्रपति भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे .”

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मुलाकात के बाद दोनों नेता संक्षिप्त बयान दे सकते हैं. पिछले दो साल में यह मोदी और ओबामा की आठवीं मुलाकात होगी . दोनों नेता पहली बार सितंबर 2014 में तब मिले थे जब ओबामा के न्योते पर मोदी वॉशिंगटन डीसी गए थे.

बीते रविवार को चीन के होंगझाउ में जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मोदी ने ओबामा से मुलाकात की थी . इस मुलाकात में ओबामा ने एक “मुश्किल” वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में जीएसटी सुधार पर “साहसिक नीतिगत” कदम उठाने के लिए भारत की तारीफ की थी.

मोदी से मुलाकात के तुरंत बाद ओबामा लाओस में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर सकते हैं. संवाददाता सम्मेलन के बाद ओबामा जापान के योकोटा से होते हुए अमेरिका रवाना हो जाएंगे. योकोटा में उनके विमान के लिए ईंधन लिया जाएगा.

पीएम मोदी आसियान एवं पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में शामिल होने के लिए लाओस पहुंचे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान-भारत तथा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेने और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के साथ भारत के व्यापार एवं सुरक्षा रिश्तों को मजबूत करने के लिए आज यहां पहुंचे.

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अपनी दो दिन की लाओस यात्रा के दौरान शिखर सम्मेलनों से इतर मोदी कई द्विपक्षीय बैठक करने वाले हैं. इसका आगाज आज जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबे से मुलाकात से होगा.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने अपने ट्विट संदेश में कहा, ‘अभिनंदन वियेंतियाने. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के व्यस्त कूटनीति के लिए लाओस पहुंचे’.

मेजबान लाओस आज शाम सभी राष्ट्राध्यक्षों के लिए एक भोज का आयोजन करेगा. इसके बाद लाओस के प्रधानमंत्री थोंलोउन सिसोउलिथ के साथ मोदी की द्विपक्षीय वार्ता होगी.

उम्मीद की जा रही है कि सिसोउलिथ के साथ मोदी की वार्ता में चर्चा आतंकवाद, नौवहन सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी, और एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग के मुद्दों पर केन्द्रित होगी. भारत 21 सदस्यों वाले एपीईसी में शामिल होना चाहता है. यह तीसरा मौका है जब पीएम मोदी दोनों शिखर सम्मेलनों में हिस्सा ले रहे हैं.

भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में 10 दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों- इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, ब्रुनेई, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, वियतनाम तथा थाईलैंड के नेता हिस्सा लेंगे.

वहीं, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में 10 एशियाई राष्ट्रों के नेता हिस्सा लेंगे, जिनमें भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस शामिल हैं.

इससे पहले लाओस में आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेने जाने की पूर्व-संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत दक्षिण-एशियाई देशों के साथ भौतिक और डिजिटल संपर्क बढ़ाने और आधुनिक एवं एक दूसरे से जुड़ी दुनिया का उपयोग आपसी फायदे के लिए करने का इच्छुक है.

बुधवार से शुरू हो रही दो दिवसीय यात्रा से पहले अपने बयान में प्रधानमंत्री ने कहा, ”हमारी एक्ट-ईस्ट नीति के संदर्भ में आसियान महत्वपूर्ण साझेदार है और यह हमारे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.”

मोदी ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ”आसियान के साथ हमारी सामरिक साझेदारी हमारे सुरक्षा हितों और क्षेत्र में पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों के लिहाज से महत्वपूर्ण है.” उन्होंने कहा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, एशिया प्रशांत क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों एवं अवसरों के बारे में चर्चा करने को प्रमुख मंच है.

एक्‍ट-ईस्‍ट नीति : पीएम मोदी आसियान सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने बुधवार को लाओस जाएंगे

लाओस में आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेने जाने की पूर्व-संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत दक्षिण-एशियाई देशों के साथ भौतिक और डिजिटल संपर्क बढ़ाने और आधुनिक एवं एक दूसरे से जुड़ी दुनिया का उपयोग आपसी फायदे के लिए करने का इच्छुक है.

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बुधवार से शुरू हो रही दो दिवसीय यात्रा से पहले अपने बयान में प्रधानमंत्री ने कहा, ”हमारी एक्ट-ईस्ट नीति के संदर्भ में आसियान महत्वपूर्ण साझेदार है और यह हमारे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.”

प्रधानमंत्री मोदी 14वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन तथा 11वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए लाओस की राजधानी पहुंच रहे हैं. इस दौरान उनके एजेंडे में नौवहन सुरक्षा, आतंकवाद, आर्थिक एवं सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग जैसे विषय होंगे.

मोदी ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ”आसियान के साथ हमारी सामरिक साझेदारी हमारे सुरक्षा हितों और क्षेत्र में पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों के लिहाज से महत्वपूर्ण है.” उन्होंने कहा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, एशिया प्रशांत क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों एवं अवसरों के बारे में चर्चा करने को प्रमुख मंच है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ भारत के संबंध सही अर्थों में ऐतिहासिक हैं. ”हमारे जुड़ाव एवं पहल को एक शब्द से व्यक्त किया जा सकता है और वह शब्‍द ‘कनेक्टिविटी’ है.”

प्रधानमंत्री ने कहा,”हम अपनी भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाना चाहते हैं, लोगों के बीच वृहत सम्पर्क बढ़ाने के साथ अपने संस्थागत संबंधों को मजबूती प्रदान करना और एक दूसरे से जुड़ी आधुनिक दुनिया का लाभ हमारे अपने लोगों के साझे फायदे के लिए करना चाहते हैं.”

विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान कुछ महत्वपूर्ण विषय भी प्रधानमंत्री मोदी के एजेंडा में होंगे. दोनों शिखर सम्मेलन गुरुवार के लिए निर्धारित है. इन शिखर सम्मेलनों में आसियान के 10 राष्ट्राध्यक्ष या शासन प्रमुख और पूर्वी एशियाई सम्मेलन में 18 देश हिस्सा ले रहे हैं.

पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों के नेता अनेक क्षेत्रीय, अंतरराष्ट्रीय हितों से जुड़े विषयों पर चर्चा करेंगे जिसमें नौवहन सुरक्षा, आतंकवाद, परमाणु अप्रसार और पलायन जैसे विषय शामिल होंगे. शिखर सम्मेलनों से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे.

पाकिस्‍तान दौरे पर जा सकते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय उच्‍चायुक्‍त ने दी जानकारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवंबर में पाकिस्‍तान में होने वाले सार्क सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने जा सकते हैं, मंगलवार को भारतीय उच्‍चायुक्‍त गौतम बम्बावाले की प्रकाशित टिप्‍पणियों से यह जानकारी मिली है. यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी नवंबर में दक्षेस शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान का दौरा करेंगे, गौतम बम्बावाले ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री दक्षेस शिखर सम्मेलन के लिए इस्लामाबाद यात्रा को लेकर आशान्वित हैं.’’

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डॉन के अनुसार उन्होंने कहा कि हालांकि दोनों देशों के बीच काफी तनाव है, लेकिन संचालनात्मक स्तर पर संपर्क रहे हैं. बम्बावाले ने हालांकि जोर देकर कहा कि यह आज की स्थिति है और उन्‍हें नहीं पता कि आने वाले दिनों में परिस्थितियां कैसी होंगी. बम्बावाले ने सोमवार को कराची में एक कार्यक्रम में उन्‍होंने कहा, ‘मैं भविष्‍य के बारे में नहीं बता सकता, लेकिन आज पीएम मोदी नवंबर में इस्‍लामाबाद में होने वाले सार्क सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने को लेकर आशान्वित हैं.’ वरिष्‍ठ अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, विशेषकर जम्‍मू कश्‍मीर के हालात को लेकर पाकिस्‍तान के साथ तनाव को देखते हुए.

बम्बावाले ने कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए पाकिस्तान पर निशाना साधा और कहा कि जिनके खुद के घर शीशे के हों उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए. कश्मीर मुद्दे और हाल में बलूचिस्तान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए बम्बावाले ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों के भीतर समस्याएं हैं. उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि जिनके खुद के घर शीशे के हों उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए.

कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान दोनों में समस्याएं हैं और आपको अन्य देशों की समस्याओं में झांकने की बजाय अपनी समस्याओं को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.’’ मोदी के बयान के बारे में राजनयिक ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त के अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में केवल उन्हें प्राप्त हुए पत्रों का जिक्र किया था.’’ बम्बावाले सोमवार को ‘कराची काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस’ द्वारा आयोजित संवाद सत्र में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार कहती रही है, ‘‘हमें आतंकवाद के जड़ से सफाए के लिए मिलकर काम करना चाहिए जो न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि भारत और विश्व के लिए भी सिरदर्द है.’’ बम्बावाले ने कहा कि दोनों देशों को महज एक मुद्दे पर नहीं, बल्कि सभी मुद्दों पर बात करनी चाहिए.

पिछले डेढ़ महीने में भारतीय और पाकिस्तानी सीमा बलों के बीच ‘‘सौहार्दपूर्ण’’ चर्चाएं हुई हैं. दक्षेस की भी कई बैठक हुई हैं. बम्बावाले ने पाकिस्तान और भारत के बीच व्यापक व्यापार का भी आह्वान किया और कहा कि राजनीतिक मुद्दों के समाधान में समय लगेगा. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को भारत को भी सर्वाधिक तरजीही वाले देश का दर्जा देना चाहिए.

बम्बावाले ने कहा, ‘‘व्यापार मेलों में अधिक भागीदारी होनी चाहिए तथा और अधिक पाकिस्तानयिों को भारत की यात्रा करनी चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोई विकल्प नहीं है, लेकिन इसे कदम दर कदम किया जाना चाहिए.’’ भारतीय राजनयिक ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने का मार्ग वृहतर व्यापार और कारोबार से होकर गुजरता है.

‘एक देश एक चुनाव’ : पीएम मोदी के विचार को राष्‍ट्रपति ने दिया समर्थन

राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी सोमवार को शिक्षक दिवस के मौके पर सरकारी स्‍कूल में एक विशेष क्‍लास लेने के दौरान लोकसभा के साथ-साथ राज्‍यों के विधानसभा चुनावों की वकालत करते हुए दिखे. वास्‍तव में इस विचार को इससे पहले नरेंद्र मोदी ने पेश किया था.  60 बच्‍चों के क्‍लासरूम में जब 80 वर्षीय वरिष्‍ठ राजनेता दाखिल हुए तो छात्रों से खुद के लिए ”प्रणब सर या मुखर्जी सर” कहने का अनुरोध किया.

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राष्‍ट्रपति एस्‍टेट में स्थित राजेंद्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय में ”प्रणब सर की क्‍लास” शिक्षक दिवस पर बच्‍चों को राष्‍ट्रति की तरह से तोहफा था. इस दौरान उन्‍होंने पीएम मोदी के एक साथ सभी चुनाव कराने संबंधी विचार के साथ-साथ विभिन्‍न मसलों पर अपने विचार रखे.

जब एक 11वीं की छात्रा ने राष्‍ट्रपति से चुनाव में खर्च का हवाला देते हुए पूछा कि क्‍या एक साथ देश में सभी चुनाव कराया जाना अच्‍छा होगा तो राष्‍ट्रपति ने कहा, ”चुनाव आयोग भी इस दिशा में किए जाने वाले प्रयासों के बारे में अपने विचार रख सकता है और ये बहुत लाभकारी होगा.” बाद में यह सवाल पूछने वाली छात्रा रागिनी ने कहा कि उसे यकीन नहीं हो रहा है कि राष्‍ट्रपति ने उसके सवालों का इतनी विनम्रता से जवाब दिया.

उल्‍लेखनीय है कि पीएम मोदी ने सबसे पहले मार्च में बीजेपी की एक मीटिंग के दौरान पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने का विचार रखा था. उनके मुताबिक इससे हर साल चुनावों में खर्च होने वाली बड़ी धनराशि में काफी हद तक कटौती होगी. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2004 में लोकसभा और उस साल के राज्‍य चुनावों में 4,500 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. जून में चुनाव आयोग ने भी इस विचार का समर्थन करते हुए कहा था कि राजनीतिक आम सहमति बनने की स्थिति में यह संभव है.

भारत स्‍वदेश में पनपे आतंकवाद से काफी हद तक मुक्‍त
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत विश्वभर में देखने को मिल रहे स्वदेश में ही पनपे आतंकवाद से ”काफी हद तक मुक्त” है क्योंकि यहां के लोग अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और बहुलवाद में विश्वास रखते हैं. उन्‍होंने कहा कि भारतीयों के लिए ”धर्मनिरपेक्षता जीवन का हिस्सा है.” उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद के दंश को झेला है जिसमें सीमा पार से संचालित आतंकवाद भी शामिल है.

राष्ट्रपति ने कहा कि यह भारत की नीति और प्रशासन की कुशलता का गौरव और सफलता है कि अंतरराष्ट्रीय शांति और समुदाय के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुके, अपने अपने देशों में ही पनपे आतंकवाद से, भारत ”वस्तुत: मुक्त” रहा है.
उन्होंने कहा, ”यह हम हैं जिन पर हमले होते हैं और हम सीमा पार से हमलों के पीड़ित हैं..लेकिन अपने देश में पनपे आतंकवाद से बहुत ज्यादा नहीं.” प्रणब ने यह भी कहा कि यह ”लोगों के जड़ों से जुड़े होने, बहुलवाद में विश्वास, भाषा, धर्म, आहार लगभग हर चीज में व्यापक विविधता की वजह से है.”

दक्षिण एशिया में एक देश ‘आतंक के एजेंट’ फैला रहा है, जी-20 में पीएम मोदी

जी-20 शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि दक्षिण एशिया में ‘एक अकेला देश’ ‘आतंक के एजेंट’ फैला रहा है और इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद का प्रायोजन करने वालों को प्रतिबंधित और अलग-थलग किया जाना चाहिए.

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मोदी ने पाकिस्तान का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए कहा, ‘‘दक्षिण एशिया में निश्चित तौर पर एक ऐसा देश है जो हमारे क्षेत्र के देशों में आतंक के एजेंट फैला रहा है.’’ उन्होंने जी-20 के समापन सत्र के दौरान कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकसाथ बोलेगा और कदम उठाएगा तथा इस समस्या से लड़ने के लिए तत्कालिक आधार पर कदम उठायेगा. जो आतंकवाद का प्रयोजन और समर्थन करते हैं उनको अलग-थलग और प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. उनको पुरस्कृत नहीं किया जाना चाहिए.’’

प्रधानमंत्री ने आतंकवाद का वित्तपोषण करने की समस्या का मुकाबला करने को लेकर जी-20 की ओर से उठाए कदमों की सराहना करते हुए इस बात पर जोर दिया कि सभी देशों को ‘वित्तीय कार्यबल’ (एफएटीएफ) के मानकों को पूरा करना चाहिए. मोदी ने कहा, ‘‘आतंक और हिंसा की बढ़ रही ताकतें एक बुनियादी चुनौती खड़ी करती हैं. ऐसे कुछ देश हैं जो राष्ट्र की नीति के औजार के तौर पर इसका इस्तेमाल करते हैं. आतंकवाद को लेकर भारत की बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति है. क्योंकि उससे कुछ भी कम पर्याप्त नहीं होगा.’’

 उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए आतंकवादी आतंकवादी हैं.’’ मोदी का यह बयान उस वक्त आया है जब एक दिन पहले भारत और ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों ने आतंकवाद का मुकाला करने के लिए प्रयास तेज करने का आह्वान किया था.

आर्थिक अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह खत्म करें : पीएम मोदी ने जी20 समूह से कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अत्यधिक बैंकिंग गोपनीयता खत्म करने के लिए जी20 के सदस्य देशों का आह्वान करते हुए साफ किया कि प्रभावी वित्तीय संचालन के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ पहल करने के वास्ते ‘पूर्ण प्रतिबद्धता’ और आर्थिक अपराधियों के लिए ‘सुरक्षित पनाहगाह’ खत्म करने की जरूरत है.

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चीन के पूर्वी भाग में स्थित इस शहर में आयोजित जी20 सम्मेलन के दूसरे दिन मोदी ने अपने भाषण में कहा कि प्रभावी वित्तीय संचालन के लिए भ्रष्टाचार, कालाधन और करचोरी से निपटना महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा, ‘इसके लिए हमें आर्थिक अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह खत्म करने, धन शोधन करने वालों की तलाश और उनका बिना शर्त प्रत्यर्पण करने, जटिल अंतरराष्ट्रीय नियमों के जाल को तोड़ने तथा अत्यधिक बैंकिंग गोपनीय खत्म करने के लिए प्रयास करने की जरूत है जो भ्रष्टाचार और उनके कारनामों पर पर्दा डालते हैं.’