Monthly Archives: June 2016

भारत ने किया एनएसजी मेंबरशिप के लिए अप्‍लाई, पीएम मोदी ने ली जिम्‍मेदारी

भारत ने पिछली 12 मई को ही न्‍यूक्लियर सप्‍लायर ग्रुप यानी एनएसजी की मेंबरशिप के लिए अप्‍लाई कर दिया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को इस समूह में एंट्री दिलाने के लिए बड़ी जिम्‍मेदारी ली है।

nsg-india-applicationनौ और 10 जून को है एनएसजी की मीटिंग
नौ और 10 जून को एनएसजी की मीटिंग होने वाली है। सूत्रों की मानें तो इस मीटिंग में भारत की मेंबरशिप पर चर्चा हो सकती है। ऐसे में एनएसजी की यह मीटिंग भारत के लिए काफी अहम है। आपको बता दें कि पाकिस्‍तान ने भी मेंबरशिप के लिए अप्‍लाई किया है।

पीएम मोदी ने तैयार की खास
रणनीति पीएम मोदी अगले कुछ दिनों में अमेरिका समेत अफगानिस्‍तान, कतर, मैक्सिको और स्विटजरलैंड की यात्रा पर रवाना होने वाले हैं। माना जा रहा है कि अपनी यात्रा के दौरान भारत की एनएसजी मेंबरशिप के लिए पीएम मोदी ने खासी रणनीतियां बनाई है।

इन सभी देशों को भारत की एनएसजी मेंबरशिप पर कुछ आपत्ति है। पीएम मोदी छह जून का स्विटजरलैंड और नौ जून को मैक्सिको में होंगे।

पाक को क्‍यों है एतराज

  • पाकिस्तान का कहना है कि इससे परमाणु हथियारों की होड़ बढे़गी। एनएसजी की सदस्यता मिलने से भारत के लिए न्‍यूक्लिर एनर्जी के लिए एडवांस्‍ड टेक्निक हासिल करने की ओर बढ़ जाएगा।
  • एनएसजी मेंबर्स के देशों का इन टक्निक के ट्रांसफर पर कंट्रोल रहता है।
  • गौरतलब है कि भारत की मेंबरशिप के लिए चीन और पाकिस्‍तान की ओर से कड़ा विरोध किया था।
  • पिछले दिनों अमेरिका ने भी पाक को लगातार भारत के विरोध पर कड़ी फटकार लगाई थी।

 

 

 

 

पीएम मोदी की यात्रा से पहले अमेरिका ने कहा, भारत के साथ संबंधों का असाधारण महत्व

अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन की यात्रा से कुछ दिन पहले कहा है कि वह भारत को क्षेत्र में एक अहम साझीदार के तौर पर देखता है और दोनों देशों के आपसी संबंधों का दुनिया के लिए ‘असाधारण महत्व’ है।

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पीएम मोदी की यात्रा का इंतजार
विदेश मंत्रालय के उपप्रवक्ता मार्क टोनर ने यहां संवाददाताओं से कहा, हम प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का इंतजार कर रहे हैं। अमेरिका और भारत के संबंधों का केवल क्षेत्र ही नहीं अपितु विश्व के लिए असाधारण महत्व है।

अमेरिकी-भारत संबंधों का दायरा बड़ा
टोनर ने कहा, अमेरिका और भारत के संबंधों का दायरा बहुत बड़ा है। यह सुरक्षा से जुड़ा है। यह मजबूत आर्थिक घटक से जुड़ा है। हम भारत के साथ और निकट संबंध स्थापित करना चाहते हैं, क्योंकि हम इसे क्षेत्र में एक अहम साझीदार के रूप में देखते हैं। मोदी तीन दिवसीय यात्रा पर 6 जून को वाशिंगटन आएंगे। वह 7 जून को व्हाइट हाउस में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात करेंगे और 8 जून को अमेरिकी कांग्रेस की एक संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे।

मोदी सरकार घने जंगलों वाले इलाकों को कोयला खनन के लिए खोलने की कर रही तैयारी

नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद से विकास की रफ्तार तेज़ करने के लिए कोयला खनन को बढ़ाने की बात कही गई। हालांकि कहां खनन होगा और कहां नहीं होगा, इस पर सरकार ने साफ नीति घोषित नहीं की है, लेकिन NDTV इंडिया को जो दस्तावेज़ मिले हैं, उनसे पता चलता है कि घने जंगलों वाले इलाकों को खनन के लिए खोलने की तैयारी हो रही है, जिसे पिछली सरकार ने प्रतिबंधित क्षेत्र में रखा था।

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सरकार की चली तो आने वाले दिनों में घने जंगलों और नदियों के आसपास बसे कोयला भंडारों के खनन पर लगी रोक हट जाएगी। कोयला मंत्रालय ने पर्यावरण मंत्रालय को जो प्रस्ताव भेजा है, उससे यही पता चलता है।

सूचना के अधिकार से मिले दस्तावेज बताते हैं कि पिछले साल फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने पर्यावरण मंत्रालय को पिछले साल 10 जुलाई को एक चिट्ठी लिखी। इसमें कुल 466 कोल बलॉक ऐसे बताए गए, जहां खनन नहीं होना चाहिए या शर्तों के तहत बहुत सीमित माइनिंग होनी चाहिए। इनमें से 417 कोल ब्‍लॉक में खनन पर प्रतिबंध नदियों को खत्म होने से बचाने के लिए था।

दस्तावेज बताते हैं कि इसके बाद कोयला मंत्रालय ने पर्यावरण मंत्रालय को चिट्ठी लिखी। ये चिट्ठी 22 जुलाई को कोयला सचिव अनिल स्वरूप की ओर से तत्कालीन पर्यावरण सचिव अशोक लवासा को भेजी गई। इसमें खनन प्रतिबंधित नो गो ज़ोन में आने वाले कोयला ब्लॉक्स की संख्या काफी करने के सुझाव दिए गए हैं।

कोयला सचिव की इस चिट्ठी के अलावा कोल इंडिया के तहत काम करने वाले सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टिट्यूट (सीएमपीडीआई) ने पर्यावरण मंत्रालय को चिट्ठी लिखी और सुझाव दिए। इसमें कहा गया कि जिस कोल ब्लॉक में भी माइनिंग हो रही है उसे नो गो ज़ोन से बाहर रखा जाए। 256 कोल ब्लॉक्स की सीमा नए सिरे से तय की जाए। सीएमपीडीआई ने नदियों के पास और वेटलैंड क्षेत्र में आने वाली कई खदानों में खनन की छूट देने को कहा।

कोयला मंत्रालय और सीएमपीडीआई नियमों में जो ढिलाई मांग रहा है, उसके बाद अभी की संख्या 466 की जगह केवल 81 कोल ब्लॉ़क ही खनन गतिविधियों से बाहर रखे जाएंगे। गौर करने की बात ये है कि घने जंगलों और नदियों को बचाने का वास्ता देकर गो औऱ नो गो की नीति पिछली यूपीए सरकार के वक्त लाई गई, जिसे लेकर काफी विवाद होता रहा। सत्ता में आने से पहले बीजेपी इस मामले में साफ नीति बनाने की बात करती रही है, लेकिन सरकार के दो साल पूरा होने के बाद भी अभी तक कोई आधिकारिक घोषित नीति नहीं है।

मौजूदा पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी कहते रहे हैं कि नो गो और गो ज़ोन के लिए नीति सही वक्त में घोषित की जाएगी और शब्दावली इस तरह की नहीं होगी। ऐसे में इसे कोयला खनन के लिए वन सम्पदा और जैव विविधता से भरे इलाकों में गंभीर संकट मंडरा रहा है।

योग दिवस पर पीएम मोदी के साथ योगा करेंगे विराट कोहली

योग दिवस 21 जून को है जिसके लिए जोरों से तैयारियां हो रही हैं। इस बारे में हम आपको एक दिलचस्प बात बताने जा रहे हैं और वो ये है कि इस बार योगदिवस पर चंडीगढ़ के कैपिटल कॉम्प्लेक्स में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ आपके चहेते खिलाड़ी और टीम इंडिया के टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली भी योग करते दिखेंगे।

VIRAT Kohli and Pm Modiइसके अलावा बाबा रामेदव और श्री श्री रविशंकर भी इस भव्य कार्यक्रम का हिस्सा होंगे। पूरे देश में योग दिवस को लेकर काफी उत्साह है।

खबर है कि इस बार का योगदिवस ‘मेक इन इंडिया’ की थीम पर होगा जिसमें योग में इस्तेमाल होने वाली चटाई ऑर्गेनिक मटेरियल की बनी होगी और इस दिवस के लिए एक खास तरह की टी-शर्ट बनायी गई है जिसे कि NID ने बनाया है।

जन भागीदारी से सरकार चलाते हैं हम: नरेंद्र मोदी

ओडिशा के बालासोर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर मोदी ने कहा कि यह एपीजे अब्दुल कलाम की कर्म भूमि है और आधुनिक भारत का सृजन यहीं से होता है। ओडिशा ने हर बार मां भारती का गौरव बढ़ाया है।

narendra-modi-in-odisaपीएम ने भगवान जगन्नाथ को नमर करते हुए भाषण शुरू किया। भाषण के मुख्य अंश-

आज सारे देश में कोई भी व्यक्त‍ि कितना ही लोकप्रिय हो न जाये, कोई सेलेब्रिटी कितने ही लोकप्रिय क्यों न हो जाये, कोई सरकार कितनी ही लोकप्रिय हो जाये, लेकिन छह महीने बाद लोगों की उदासीनता शुरू हो जाती है। पहले सरकारें मानती थीं कि देश हम चला रहे हैं, पहले सरकारें मानती थीं कि हमीं भारत का भाग्य बदलेंगे।

हमने नतीजा देखा है। ये ऐसी सरकार है, जिसका मंत्र रहा है, सबका साथ सबका विकास। इसीलिये हमने लगातार ये कोश‍िश की है कि सरकार की हर योजना में जनभागीदारी हो।

मेरी सरकार का एक की मंत्र है, सबका साथ सबका विकास : बालासोर में पीएम मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के बालासोर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जो लोग एसी रूम में बैठे हैं, उन्हें देश की चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्हें बालासोर में आकर इस जनसमूह को देखना चाहए। यहां कोई चुनाव नहीं है, फिर भी इतनी भारी संख्या में लोग आए हैं। मेरी सरकार का मंत्र है, सबका साथ सबका विकास।

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भाषण के मुख्य अंश

  • यहां पर आए लोगों का प्यार है कि इतनी भारी संख्या में सभी आए हैं।
  • आप लोगों के उत्साह से और काम करने की प्रेरणा मिलती है।
  • देश के प्रधानसेवक को इतना समर्थन देकर लोग मुझे प्रोत्साहित करते हैं।
  • मैं सोमनाथ में पैदा हुआ और आज जगन्नाथ में जनसभा को संबोधित कर रहा हूं।
  • देश के पश्चिमी छोर पर बदलाव नजर आ रहा है
  • गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा में विकास दिखता है
  • पीएम मोदी ने कहा कि बालासोर कलिंग के समय काफी महत्वपूर्ण हुआ करता था। मैं जगन्नाथ की धरती पर आया हूं जो गरीब लोगों के देवता हैं।
  • महान कवि कालिदास ने कलिंग के राजा को समुद्र का देवता की उपाधि दी थी। उन्होंने कहा कि यहां भविष्य उज्ज्वल है।
  • पीएम ने कहा, सरकार की सभी योजनाओं के केंद्र बिंदु में हमारा गरीब और उसका भला होना चाहिए
  • पीएम ने कहा,  हमारी कोशिश रही है कि सरकार की योजनाओं में जनभागीदारी हो, सरकार और जनता एक साथ मिलकर के समाज की समस्याओं का समाधान करने के लिए आगे आए।
  • पीएम मोदी ने कहा कि बालासोर को मिसाइल सिटी के तौर पर भी जाना जाता है।
  • बालासोन का महत्व केवल भारत में नहीं है बल्कि पूरी दुनिया में भारत की मिसाइल सिटी के तौर पर इसे जाना जाता है।
  • जब महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई आरंभ की और दांडी मार्च निकाला। यहां के लोगों ने उनके समर्थन में नमक सत्याग्रह किया था।

DLW ने रचा इतिहास, बनाया रिमोट से चलने वाला रेल इंजन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इण्डिया प्रोग्राम के तहत भारतीय रेलवे नये-नये आयाम पा रहा है जहाँ अब सिर्फ तीन प्रतिशत पुर्जे ही आयात किए जा रहे हैं। वहीं लोको पायलट को सहूलियत के लिए बायो टायलेट व एसी चेम्बर वाले इंजनों का भी निर्माण किया जा रहा है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए वाराणसी स्थित डीएलडब्लू ने रिमोट से चलने वाला इंजन बनाया है, इस इंजन में लोको पायलट नहीं होगा। इससे न केवल संसाधनों की बचत होगी बल्कि लम्बी दूरी तक चलाए जाने वाली गुड्स ट्रेनों का संचालन आसान हो जाएगा।

pm-modi-flagging-off-the-new-high-horsepower-diesel-locomotive3 किलोमीटर लम्बी गुड्स ट्रेन के एक ही इंजन में होगा लोको पायलट

रेलवे ने एक और नई खास तकनीक ईजाद की है। इस तकनीक से भारतीय रेलवे का काम और आसान होगा | इस खास तकनीक में जिन ट्रेनों में तीन इंजन लगाने पड़ते थे और अलग-अलग टीम काम करती थी,  उनमें अब आगे चलने वाले इंजन में ही पायलट होंगे। । यह तकनीक तीन किलोमीटर लंबी ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाले संसाधनों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। यह तकनीक फिलहाल उन गुड ट्रेनों के लिए है जिनकी लंबाई तीन किलोमीटर की होती है। इसका ढाई किलोमीटर लंबी गुड्स ट्रेन में ट्रॉयल भी किया जा चुका है।

डीएलडब्लू ने रचा इतिहास

वाराणसी स्थित डीजल लोकोमोटिव वर्क्स ने हर दिन एक से ज्यादा रेल इंजन बनाकर इतिहास रच दिया है । डीएलडब्लू ने गत वर्ष 2015-16 में लक्ष्य के सापेक्ष 330 रेल इंजनों का प्रोडक्शन किया था जो 24 प्रतिशत अधिक है। रेलवे द्वारा यात्रियों की सुविधा व प्रोडक्शन क्षेत्र में प्रोत्साहन के लिए आयोजित हमसफर सप्ताह के अंतिम दिन संचार दिवस के मौके पर बुधवार को डीएलडब्लू के जनरल मेनेजर अशोक कुमार हरित ने डीएलडब्लू के पिछले दो वर्षों का लेखा-जोखा और विकास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डीएलडब्लू के लिए पिछले दो वर्ष 2014-15 व 2015-16 काफी अच्छा रहा जिसमें प्रोडक्शन बढ़ाने के साथ डीएलडब्लू के एक्सपेंशन का काम भी शुरू हुआ।

उन्होंने बताया कि डीएलडब्लू में प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया व डिजीटल इंडिया पर काफी जोर दिया जा रहा है। वहीं रेल मंत्रालय व रेलवे बोर्ड द्वारा डीएलडब्लू को अगले तीन सालों का भी लक्ष्य तय कर दिया गया है इसमें अगले तीन साल में डीएलडब्लू को हर साल  320 रेल इंजनों का प्रोडक्शन करना है। महाप्रबंधक ने बताया कि डीएलडब्लू के विस्तारीकरण योजना पर काम चल रहा है। 394 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना का उद्धघाटन दिसंबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस परियोजना को दो फेज में पूरा किया जाना है।

मोदी सरकार का अहम फैसला, डाकघरों को दिया बैंकों का दर्जा

नरेन्‍द्र मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए देशभर के डाकघरों को बैंकों को दर्जा दे दिया गया है। बुधवार को हुई कैबिनेट की मीटिंग में यह निर्णय लिया गया। कैबिनेट के निर्णय के मुताबिक अब सभी डाकघरों को इंडिया पोस्‍ट पेमेंट बैंक कहा जाएगा। ये बैंक मार्च 2017 तक ऑपरेशनल हो जाएंगे।

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कैबिनेट मीटिंग में हुए कुछ और अहम फैसले

डाक घरों के अलावा कैबिनेट ने वर्ष 2016-17 के लिए धान का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) 60 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाने का भी फैसला लिया है। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए धान का MSP 1,470 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है।

कैबिनेट ने 2016-17 के खरीफ मौसम के लिये दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 425 रुपये बढ़ाकर 5,000-5,225 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने को भी मंजूरी दी।

PM मोदी ने जारी किया राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (एनडीएमपी) जारी की। देश में तैयार की गई इस तरह की यह पहली योजना है। इसका उद्देश्‍य भारत को आपदा प्रतिरोधक बनाना और जन-जीवन तथा संपत्ति के नुकसान को कम करना है। यह योजना ‘सेनडाई फ्रेमवर्क’ के चार बिन्‍दुओं पर आधारित है।

इनमें आपदा जोखिम का अध्‍ययन, आपदा जोखिम प्रबंधन में सुधार करना, ढांचागत और गैर ढांचागत उपायों के जरिये आपदा जोखिम को कम करने के लिए निवेश करना तथा आपदा का सामना करने के लिए तैयारी, पूर्व सूचना एवं आपदा के बाद बेहतर पुनर्निर्माण करना शामिल हैं।

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योजना के विशेष तत्‍व

योजना के दायरे में आपदा प्रबंधन के सभी चरण शामिल हैं- रोकथाम, जोखिम कम करना, प्रत्‍युत्‍तर तथा बहाली। योजना के तहत सरकार के समस्‍त विभागों और एजेंसियों के बीच हर प्रकार के एकीकरण का प्रावधान किया गया है। योजना में पंचायत और शहरी स्‍थानीय निकायों सहित प्रत्‍येक सरकारी स्‍तर पर भूमिका और दायित्‍व के विषय में उल्‍लेख किया गया है। यह योजना क्षेत्रीय आधार को ध्‍यान में रख कर बनाई गई है जो न सिर्फ आपदा प्रबंधन के लिए बल्कि विकास योजना के लिए भी लाभकारी है। इसका डिजाइन इस तरह तैयार किया गया है कि इसे आपदा प्रबंधन के सभी चरणों में समान रूप से लागू किया जा सकता है। इसमें पूर्व सूचना, सूचना का प्रसारण, चिकित्‍सा सेवा, र्इंधन, यातायात, खोज, बचाव आदि जैसी प्रमुख गतिविधियों को भी शामिल किया गया है ताकि आपदा प्रबंधन में संलग्‍न एजेंसियों को सुविधा हो सके। योजना के तहत बहाली के लिए एक आम फ्रेम वर्क भी बनाया गया है। इसके अलावा परिस्थितियों का आकलन करने और बेहतर पुनर्निर्माण के उपायों का भी उल्‍लेख किया गया है।

एनडीएमपी की मुख्‍य विशेषताएं

  • एनडीएमपी आपदा जोखिम घटाने के लिए सेंडैई फ्रेमवर्क में तय किए गए लक्ष्‍यों और प्राथमिकताओं के साथ मौटे तौर पर तालमेल करेगा।
  • योजना का विजन भारत को आपदा मुक्‍त बनाना है, आपदा जोखिमों में पर्याप्‍त रूप से कमी लाना है, जान-माल, आजीविका और संपदाओं आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक, सांस्‍कृतिक और पर्यावरणीय – के नुकसान को कम करना है, इसके लिए प्रशासन के सभी स्तरों और साथ ही समुदायों की आपदाओं से निपटने की क्षमता को बढ़ाया जाएगा।
  • प्रत्‍येक खतरे के लिए, सेंडैई फ्रेमवर्क में घोषित चार प्राथमिकताओं को आपदा जोखिम में कमी करने के फ्रेमवर्क में शामिल किया गया है।

इसके लिए पांच कार्यक्षेत्र

  • जोखिम को समझना
  • एजेंसियों के बीच सहयोग
  • डीआरआर में सहयोग – संरचनात्‍मक उपाय
  • डीआरआर में सहयोग – गैर-संरचनात्‍मक उपाय
  • क्षमता विकास