केंद्र ने अतिउत्साही गोरक्षकों के खिलाफ नकेल कसते हुए सभी राज्यों से कहा है कि वह ऐसे किसी भी व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं करें, जो गोरक्षा के नाम पर कानून अपने हाथ में लेते हैं और ऐसे अपराधियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करें.
गृह मंत्रालय का यह परामर्श आने से दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अतिउत्साही गोरक्षकों की निंदा की थी और लोगों से समाज एवं देश को विभाजित करने की कोशिश करने वाले ‘फर्जी’ रक्षकों से सचेत रहने और राज्यों से उन्हें कड़ी सजा देने को कहा था.
गृह मंत्रालय के परामर्श में कहा गया है कि ऐतिहासिक रूप से मवेशियों का भारतीय संस्कृति एवं इतिहास में एक विशेष, सम्मानजनक एवं पूजनीय स्थान है और यहां तक कि राष्ट्रपिता ने भी कहा था कि ‘मेरे लिए गोरक्षा केवल गाय की रक्षा करना नहीं है, इसका अर्थ दुनिया में जीवित, असहाय और कमजोर की रक्षा करना है.’ हालांकि यह किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को यह अधिकार नहीं देता है कि वे कथित गोहत्या को रोकने के लिए स्वयं कदम उठाएं या कथित रूप से गलत काम करने वालों को स्वयं सजा दें.
उन्होंने कहा, ‘हाल में, कुछ मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें कुछ व्यक्तियों एवं समूहों ने गोरक्षा के नाम पर कानून अपने हाथ में लिया है। यह स्वीकार्य स्थिति नहीं है.’