राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सोमवार को शिक्षक दिवस के मौके पर सरकारी स्कूल में एक विशेष क्लास लेने के दौरान लोकसभा के साथ-साथ राज्यों के विधानसभा चुनावों की वकालत करते हुए दिखे. वास्तव में इस विचार को इससे पहले नरेंद्र मोदी ने पेश किया था. 60 बच्चों के क्लासरूम में जब 80 वर्षीय वरिष्ठ राजनेता दाखिल हुए तो छात्रों से खुद के लिए ”प्रणब सर या मुखर्जी सर” कहने का अनुरोध किया.
राष्ट्रपति एस्टेट में स्थित राजेंद्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय में ”प्रणब सर की क्लास” शिक्षक दिवस पर बच्चों को राष्ट्रति की तरह से तोहफा था. इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी के एक साथ सभी चुनाव कराने संबंधी विचार के साथ-साथ विभिन्न मसलों पर अपने विचार रखे.
जब एक 11वीं की छात्रा ने राष्ट्रपति से चुनाव में खर्च का हवाला देते हुए पूछा कि क्या एक साथ देश में सभी चुनाव कराया जाना अच्छा होगा तो राष्ट्रपति ने कहा, ”चुनाव आयोग भी इस दिशा में किए जाने वाले प्रयासों के बारे में अपने विचार रख सकता है और ये बहुत लाभकारी होगा.” बाद में यह सवाल पूछने वाली छात्रा रागिनी ने कहा कि उसे यकीन नहीं हो रहा है कि राष्ट्रपति ने उसके सवालों का इतनी विनम्रता से जवाब दिया.
उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी ने सबसे पहले मार्च में बीजेपी की एक मीटिंग के दौरान पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने का विचार रखा था. उनके मुताबिक इससे हर साल चुनावों में खर्च होने वाली बड़ी धनराशि में काफी हद तक कटौती होगी. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2004 में लोकसभा और उस साल के राज्य चुनावों में 4,500 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. जून में चुनाव आयोग ने भी इस विचार का समर्थन करते हुए कहा था कि राजनीतिक आम सहमति बनने की स्थिति में यह संभव है.
भारत स्वदेश में पनपे आतंकवाद से काफी हद तक मुक्त
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत विश्वभर में देखने को मिल रहे स्वदेश में ही पनपे आतंकवाद से ”काफी हद तक मुक्त” है क्योंकि यहां के लोग अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और बहुलवाद में विश्वास रखते हैं. उन्होंने कहा कि भारतीयों के लिए ”धर्मनिरपेक्षता जीवन का हिस्सा है.” उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद के दंश को झेला है जिसमें सीमा पार से संचालित आतंकवाद भी शामिल है.
राष्ट्रपति ने कहा कि यह भारत की नीति और प्रशासन की कुशलता का गौरव और सफलता है कि अंतरराष्ट्रीय शांति और समुदाय के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुके, अपने अपने देशों में ही पनपे आतंकवाद से, भारत ”वस्तुत: मुक्त” रहा है.
उन्होंने कहा, ”यह हम हैं जिन पर हमले होते हैं और हम सीमा पार से हमलों के पीड़ित हैं..लेकिन अपने देश में पनपे आतंकवाद से बहुत ज्यादा नहीं.” प्रणब ने यह भी कहा कि यह ”लोगों के जड़ों से जुड़े होने, बहुलवाद में विश्वास, भाषा, धर्म, आहार लगभग हर चीज में व्यापक विविधता की वजह से है.”