सुप्रीम में पेपरलेस समारोह, पीएम मोदी बोले- A-4 साइज का एक कागज दस लीटर पानी लेता है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश बदल रहा है, छुट्टी है लोग काम कर रहे हैं. 10 मई को 1857 की आजादी का संग्राम शुरु हुआ. हम इलाहाबाद में चीफ जस्टिस ने विस्तार से आकंड़ों का चित्र प्रस्तुत किया था और देश में केस जो बाकी पड़े हैं तो न्यायपालिका को कहा था छुट्टियों में काम कीजिए. सुनकर आनंद आया कि सुप्रीम कोर्ट और दूसरे कोर्ट में छुट्टियों में काम किया जा रहा है.

इससे जिम्मेदारी का अहसास होता है तो लोगों के मन में भी भाव आते हैं. न्यू इंडिया के लिए ये जरूरी है. अब तक तकनीक से नाता हार्डवेयर तक सीमित रहा. समस्या तकनीकी और बजट की नहीं बल्कि माइंडसेट की है.

पीएम ने कहा कि बुद्ध कहते थे कि मन बदले तो मत बदले. सबको लगता है कि 6 महीने हो गए नया मोबाइल ले लो. फिर भी जैब में कांटेक्ट लिस्ट की डायरी होती है. मोबाइल अच्छा होना चाहिए लेकिन रेड और ग्रीन बटन से ज्यादा जानकारी नहीं. SMS करते हैं और फिर फोन करते हैं कि SMS मिला क्या. चुनौती हार्डवेयर या साफ्टवेयर की नहीं बल्कि मानसिक सोच की है. A-4 साइज का एक कागज दस लीटर पानी लेता है. इसका मतलब पेपरलेस होना जंगल बचाना पानी बचाना पर्यावरण की सेवा है.

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि IT+IT=IT – मतलब इंडियन टेक्नोलाजी + इंडियन टैलेंट= इंडियन टुमारो.

नोटबंदी में काफी सीखने को मिला, नोट छापना, ट्रांसपोर्ट करना सुरक्षा करना बड़ा खर्च का काम है. देश के रुपये बचेंगे तो गरीबों के घर बनाने में काम आएंगे. वो दिन दूर नहीं जब आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का जमाना आने वाला है. पूरा विश्व बदलने वाला है और हम अगर इसके साथ नहीं चलेंगे तो हमें कोई पूछेगा नहीं. हम टैक्सी से कम किराए में प्रति किमीलोमीटर कम खर्च में गए.

हॉलीवुड की एक फिल्म से कम खर्च मंगल तक पहुंचने में लगे. न्यायपालिका के क्षेत्र में भी तकनीकी का क्षेत्र विस्तार हो गया है. मोबाइल रिकार्ड और सीसीटीवी व फोरेंसिक तकनीक का बड़ा रोल हो गया है. इस देश का मिजाज अलग है. 2014 के चुनाव में पार्टी ने प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशीलिए चुना. इससे पहले कांग्रेस ने बड़ी कांफ्रेस की कि 9 की बजाए 12 सिलंडर होंगे. सरकार बनने के बाद मैंने लोगों से अपील की तो देश के 1.20 करोड़ परिवारों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी.

पीएम ने कहा, मैंने डॉक्टरों को कहा था कि हर महीने 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं का मुफ्त इलाज कीजिए, हजारों डाक्टर सेवा कर रहे हें. वकील भी तय करें कि गरीबों की सेवा के लिए मुफ्त केस लड़ेंगे और तकनीकी की मदद से ये काम होगा तो देश को लाभ होगा.

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस मौके पर कहा कि हमें खुशी है कि डिजिटल स्टोरी सुप्रीम कोर्ट से आ रही हैं. एक्सेस टू जस्टिस अब डिजिटल तरीके से आ रहा है. गरीब लोगों तक न्याय पहुंचे इसके लिए ये एक बड़ा प्रयास है. 16730 जिला कोर्ट देश भर में हैं जिनमें सात करोड़ केस लंबित हैं, लेकिन ये भी है कि चार करोड़ जजमेंट या आर्डर वेब पर मौजूद हैं.
आप सोच सकते हैं कि एक आधार कार्ड का खर्च दो डॉलर आता है, जो सबसे महंगा है. हम रोज तीन करोड़ वैरिफिकेशन करते हें. सरकार इस मामले में पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट के साथ है और आगे भी डिजिटलीकरण के लिए काम करते रहेंगे.

सुप्रीम कोर्ट का पेपरलैस समारोह में CJI जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि हम चाहते हैं कि लिटिगेंट एक बार ही केस फाइल करे और डिजिटल तरीके से वो सिविल कोर्ट, जिला कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे. ये पारदर्शी, सटीक और बिल्कुल अतिक्रमण रहित है.
उन्होंने कहा कि ये योजना सभी के लिए फायदेमंद रहेगी. उसी कड़ी की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से की गई है.

उन्होंने कहा कि अभी तक वकीलों को ई-फाईलिंग की सुविधा थी, लेकिन अब हम डिजिटल फाइलिंग की सुविधा देंगे. पहले हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी लगानी होती थी ,लेकिन अब केस नंबर देना होगा और ये प्रतियां अब कोर्ट संबंधित अदालतों की वेबसाइट से ले लेगा.

सीजेआई खेहर ने कहा कि वकील को सिर्फ अपनी अपील में फैसले को चुनौती देने के आधार और कानूनी बिन्दुओं को फाइल करना होगा. अपने आप हाईकोर्ट के पक्षकारों को भी सूचना चली जाएगी. कोर्ट फीस के बारे में भी जानकारी दी जाएगी और मुव्वकिल को भी पता चल जाएगा.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में रोजाना हजारों कागजात इस्तेमाल होते हैं और इससे पर्यावरण को भी फायदा होगा. मुव्वकिल को पता रहेगा कि क्या डेट है सुनवाई की, क्या खर्च आया. सबसे ज्यादा फायदा ये भी है कि किसी सरकारी विभाग के खिलाफ केस दाखिल होगा तो फाइलिंग होते ही विभाग को पता चल जाएगा कि उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ है. इससे वो पूरे केस फाइल को डाउनलोड कर सकता है.

जस्टिस खेहर ने कहा कि मैंने इस साल चार जनवरी को पद संभाला और एक हफ्ते में मुझे कानून मंत्री का पत्र मिला कि 438 करोड़ रुपये सरकार ने दिए हैं लेकिन तीन सत्र बीतने के बाद पता चला कि सिर्फ 20 फीसदी फंड खर्च हो पाया है. मुझे पता था कि कोर्ट में सूचना और तकनीक के साथ साथ कंप्यूटराइजनेशन में सरकार हमारी मदद करने को तैयार है. डेटाबेस बड़ा हो चुका है और अब सुप्रीम कोर्ट पेपरलैस होने के लिए तैयार है.

जस्टिस खेहर ने कहा कि 6 महीने पहले जस्टिस ए एम खानलेवकर ने बताया कि उनके दिमाग में एक साफ्टेवेयर है जिस पर काम हो सकता है. ऐसा ही उन्होंने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में भी किया था. मार्च माह में हमने इस पर काम करना शुरू किया. मैंने एक सुनवाई में वकीलों को कहा था कि 6 महीने में सुप्रीम कोर्ट पेपरलैस हो जाएगा.

2 अप्रैल को हम इलाहाबाद हाईकोर्ट के समारोह में PM के साथ थे और उन्होंने डिजीटल होने के लिए कहा था. इसके बाद हमने अलग अलग पक्षों से बात की. हमने मीटिंग की और पाया कि ये तकनीक न्यायपालिका के कामकाज को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगी भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यकम के साथ कदम बढ़ाते हुए सुप्रीम कोर्ट भी पेपरलेस हो गया है.

CJI जेएस खेहर ने डिजिटलीकरण के कार्यक्रम की शुरुआत बुधवार को विज्ञानभवन से की जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए. कार्यक्रम में इंटीग्रेटेड कोर्ट मेनेजमेंट इंफारमेशन सिस्टम को कोर्ट की नई वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा. इस दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद रहे. जस्टिस एमएम खानविल्कर ने इस वेबसाइट का विवरण दिया. सुप्रीम कोर्ट अब तक भारी भरकम कागजी काम होता है. अपीलें फाइल करनी हों तो उसके लिए भारी बस्ते तैयार किए जाते हैं क्योंकि उसमें निचली अदालतों के फैसलों की भारी प्रतियां लगानी होती हैं. लेकिन ये प्रतियां अब कोर्ट संबंधित अदालतों की वेबसाइट से ले लेगा. वकील को सिर्फ अपनी अपील में फैसले को चुनौती देने के आधार और कानूनी बिन्दुओं को फाइल करना होगा. यदि उसकी अपील के साथ कुछ आदेश लगाने हैं तो इनको डिजिटल रूप में ही पेश करना होगा. यह काम फाइलिंग कांउटर पर ही हो जाएगा जहां उसकी पीडीएफ फाइल बनाकर अपील के साथ नत्थी कर दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर भी अब सरकार की वेबसाइटों की तरह से हो जाएगी.

इसका नाम अब तक एससीआईडाटनिकडाट इन है जो अब बदलकर एससीआईडाटजीओवीडाटइन हो जाएगा. इस वेबसाइट पर फाइलिंग से डिजिटली सुरक्षित पारदर्शी माहौल मिलेगा. पिछले दिनों CJI ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट छह माह में पूरी तरह से पेपरलेस हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में फैसले और काजलिस्ट पहले ही पेपरलेस किए जा चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट में फैसलों की प्रति डिजिटल साइन के साथ ही वादियों को दी जाती है. सुप्रीम कोर्ट में 60 हजार से ज्यादा केस लंबित हैं.

admin
By admin , May 10, 2017

RELATED POSTS

Copyright 2018 | All Rights Reserved.