जिस अमरकंटक यात्रा ने इंदिरा गांधी-उमा भारती सहित 5 नेताओं से छीनी सत्ता, वहां जा रहे हैं पीएम नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को एक दिवसीय प्रवास पर मध्य प्रदेश पहुंचे. वह यहां अमरकंटक में आयोजित नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा के समापन समारोह में हिस्सा लेंगे. मध्‍य प्रदेश सरकार ने 11 दिसंबर को नर्मदा उद्गम स्थल अमरकंटक से नमामि देवी नर्मदे नाम से नर्मदा सेवा यात्रा की शुरू की थी. 15 मई को अमरकंटक में ही इसका समापन होगा. 615 ग्राम पंचायत, 1093 गांव और 51 विकास खंड से गुजरते हुए इस यात्रा ने  3334 किलोमीटर की दूरी तय कर ली है.

मोदी के स्वागत की तैयारियां जोरों पर हैं और प्रदेश से हजारों लोग अनूपपुर जिले के अमरकंटक पहुंच रहे हैं. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तय कार्यक्रम में बदलाव किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब सीधे हेलिकॉप्टर से अमरकंटक उतरने की बजाए डिंडौरी जिले में उतरेंगे. वहां से वे सड़क मार्ग से अमरकंटक जाएंगे. यहां गौर करने वाली बात यह है कि अमरकंटक को लेकर राजनेताओं के बीच एक मिथक है. ऐसे में सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या डिजिटल इंडिया की बात करने वाली प्रधानमंत्री मोदी भी इस मिथक के फेर में फंसकर अपनी यात्रा के रूट में परिवर्तन कराया है?

सत्ता गंवाने से जुड़ा है यह मिथक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि जिस राजनेता ने भी नर्मदा नदी को लांघा है, उसे अपनी सत्ता गंवानी पड़ी है. भारतीय राजनीति के इतिहास पर नजर डालें तो सत्ता गंवाने वालों में तात्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के अलावा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, उमा भारती, सुंदरलाल पटवा, श्यामाचरण शुक्ल, केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने नर्मदा नदी को लांघा था, जिसके बाद उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी थी. वहीं अमरकंटक के बारे में मिथक है कि नर्मदा के उद्गम स्थल के आठ किमी के दायरे में जो भी हेलिकॉप्टर से आया, उसने सत्ता गंवाई. इलाके में चर्चा है कि इसी मिथक के चलते पीएम मोदी के लिए डिंडोरी जिले में अमरकंटक से आठ किमी की दूरी पर हेलीपेड बनाया गया है.

विवाद
आरोप है नर्मदा से सबसे ज्यादा रेत उत्खनन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पहले निर्वाचन क्षेत्र बुधनी में हो रहा है, एक अनुमान के मुताबिक वहां एक दिन में डेढ़ हजार से अधिक ट्रकों और डंपरों से रेत ढोई जाती है. यानी हर रोज करीब 75 लाख रुपये की रेत ओवर लोड कर अवैध तरीके से निकाली जा रही है. नर्मदा के कछार क्षेत्र में 21 जिले आते हैं, लगभग 4 करोड़ की आबादी यहां रहती है. अवैध रेत उत्खनन के सबसे ज्यादा तेरह हजार मामले साल 2015-2016 में दर्ज किए गए हैं. हर ज़िले से भीड़ जुटाने बसें बुलाई जा रही हैं, कांग्रेस का आरोप है कि भीड़ जुटाने, उनके ठहरने, खाने-पीने के लिये करोड़ों रुपये सरकारी खज़ाने और दूसरे योजना मदों से लुटाये जा रहे हैं.

ये हैं वे 5 राजनेता जिन्होंने गंवाई कुर्सी
1. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 1982 में हेलिकॉप्टर से अमरकंटक आई थीं. उसके बाद उनकी 1984 में हत्या हो गई.
2. पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत राष्ट्रपति चुनाव से पहले अमरकंटक हेलिकॉप्टर से आए, लेकिन उसके बाद उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी.
3. एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा बाबरी मस्जिद ध्वंस से पहले हेलिकॉप्टर से अमरकंटक आए थे, लेकिन उसके बाद उन्हें भी कुर्सी गंवानी पड़ी.
4. एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री रहते हुए हेलिकॉप्टर से अमरकंटक आए थे, लेकिन उसके बाद उन्हें कांग्रेस पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बनानी पड़ी.
5. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सीएम रहते हुए 2004 में हेलिकॉप्टर से आई थीं. उसके बाद इन्हें भी कुर्सी गंवानी पड़ी. इसके बाद उमा भारती हमेशा सड़क मार्ग से अमरकंटक जाती हैं.

मालूम हो कि आधिकारिक कार्यक्रम के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष विमान से नई दिल्ली से दोपहर 12.25 बजे जबलपुर के डुमना विमानतल पहुंचेंगे. यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनकी अगवानी करेंगे.

प्रधानमंत्री जबलपुर से हेलीकॉप्टर से रवाना होकर 1.35 बजे अनूपपुर जिले के अमरकंटक पहुंचेंगे और दोपहर दो बजे कार्यक्रम स्थल पहुंचेंगे. वहां नर्मदा की पूजा-अर्चना करने के बाद दोपहर 2.15 बजे से 3.30 की अवधि में ‘नमामि देवी नर्मदे’ सेवा यात्रा के कार्यक्रम में शामिल होंगे. निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी सायं चार बजे हेलीकॉप्टर से प्रस्थान करेंगे और सायं 5.05 बजे जबलपुर विमानतल पहुंचेंगे. यहां से सायं 5.10 बजे वह नई दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे.

उनके आगमन को लेकर अमरकंटक में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात हैं. नर्मदा नदी के किनारों पर भी सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है.

नर्मदा सेवा यात्रा 11 दिसंबर, 2016 को उद्गम स्थल अमरकंटक से शुरू हुई थी. 148 दिन में लगभग साढ़े तीन हजार किलोमीटर का रास्ता तय करके यात्रा वापस अमरकंटक पहुंची है, जिसका समापन सोमवार को हो रहा है.

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By admin , May 16, 2017

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